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Safe . -जाना में अल्लन भी
जल जीवन देता है हिम जीवन लेता है, स्वभाव और विभाव में यही अन्तर है, यही सन्तों का कहना है
जग-जीवन-वेत्ता हैं। इससे यही फलित होता है
कि भले ही हिम की बाहरी त्वचा शीतशीला हो परन्तु, भीतर से हिम में शीतलता नहीं रही अब ! उसमें ज्वलनशीलता उदित हुई है अवश्य ! अन्यथा, जिसे प्यास लगी हो जिसका कण्ट सूख रहा हो,
और जिससे जिसकी आँखें जल रही हो यह जल्दी-से-जल्दी उन पीड़ाओं की मुक्ति के लिए जल के बदले में हिम की डली खा लेता हैं परन्तु, उलटी कसकर प्यास बढ़ती क्यों ? नाक से नाकी क्यों निकलती है?
54 :: मृक माटी