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यही तो विभाव की सफलता है,
और
स्वभाव-भाव की विकलता
इतने होने पर भी
सागरीय जल सत्ता
माँ- महासत्ता हिमखण्ड को डुबोती नहीं इसमें क्या राज है ?
ऐसा लगता हैं, कि
माँ की ममता है वह सन्तान के प्रति
वंश अंश के प्रति
ऐसा कदम नहीं उठा सकती -कभी भूल कर भी,
किन्तु, भावी बहुमान हेतु •
सब कुछ कष्ट-भार
अपने ऊपर ही उठा लेती है
और
भीतर-ही-भीतर चुप्पी बिठा लेती है I
"माना !
पृथक् वाद का आविर्माण होना
मान का ही फलदान है
साथ ही साथ
वह बात भी नकारी नहीं जा सकती
कि
मान का अत्यन्त बौना होना
मान का अवसान - सा लगता है
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मूकमाटी : 55