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.कीका:
. :: घबराती है और वह घबराहट न ही जल से है न ही जल के गहराव से, परन्तु जल की तरल सत्ता के विभाव से है
जल की गहराई को छोड़कर जल की लहराई में आ कर तैरता हुआ-सा'! अध-डूबा हिम का खण्ड है
मान का मापदण्ट'' | वह सरलता का अवरोधक है गरलता का उद्बोधक है इतना ही नहीं, तरलता का अति शोषक है
और सघनता का परिपोषक !
न ही तैरना जानता है.
और न ही तैरना चाहता है खेद की बात है, कि तरण और तारक को डुबोना चाहता है वह। जल पर रहना चाहता है पर,
52 :: मूक मार्टी