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लो, अब उपाश्रम में उतारी गई माटी कि
तुरन्त बारीक तार वाली चालनी लाई गई
और
माटी छानी जा रही है। स्वयं शिल्पी चालनी का चालक है।
वह अपनी दयावती आँखों से नीचे उतरी निरी माटी का दरश करता है भाव-सहित हो। शुभ हाथों से खरी माटी का परस करता है चाब-सहित हो। और तन से मन से हरष करता है घाव-रहित हो। अनायास फिर बचन-विलास होता है
उसके मुख से, कि "ऋजुता की यह परम दशा है और
44 :: मूक माटी