________________
.
::..:::::::: :: ................पर के प्रति
उपकारक भी हो सकता हैं।
और अपने प्रति करण ही होता है परन्तु पर के प्रति उपकरण भी हो सकता है। तभी तो अन्धा नहीं वह गदहा मदान्ध भी नहीं, उसका भीतरी भाग भीगा हुआ है समूचा। बाहर आता है सहज भावना भाता हुआ भगवान से प्रार्थना करता है
मेरा नाम सार्थक हो प्रभो ! यानी गद का अर्थ है रोग हा का अर्थ हारक मैं सबके रोगों का हन्ता बनूँ
"बस,
और कुछ वांछा नहीं गद-हा 'गदहा'":
और यह क्या ? अनहोनी-सी कुछ अनुभूत होती माटी को विस्मय का पार नहीं रहा,
40 :: मूक माटी