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हाँ । हाँ !! अधूरी दया-करुणा मोह का अंश नहीं है अपितु
आंशिक मोह का ध्वंस है। वासना की जीवन-परिधि अचेतन है"तन है दया-करुणा निरवधि हैं करुणा का केन्द्र बन्द संवेदन-धर्मा"चेतन है पीयूष का केतन है यह।
करुणा की कर्णिका से ..... : .अविरत मरती हैं ::::::
समता की सौरभ-सुगन्ध; ऐसी स्थिति में कौन कहता है वह
करुणा का वासना से सम्बन्ध है !
वह अन्ध ही होगा विषयों का दास, इन्द्रियों का चाकर, और मन का गुलाम मदान्ध होगा कहीं !
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माना, प्रति पदार्थ अपने प्रति कारक ही होता है
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परन्तु
पूक माटी :: 30
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