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क्योंकि, सुनो ! स्व के साथ पर का और पर के साथ स्व का ज्ञान होता ही है, गौण-मुख्यता भले ही हो। चन्द्र-मण्डल को देखते हैं नभ-मण्डल भी दीखता है। पर की दया करने से स्व की याद आती है और
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rans स्व-दया है विलोम-रूप से भी यही अर्थ निकलता है या'द द"या"।
साथ ही साथ, यह भी बात ज्ञात रहे
वासना का विलास'
दया का विकास''
___ "मोक्ष हैएक जीवन को बुरी तरह जलाती है भयंकर है, अंगार है ! एक जीवन को पूरी तरह जिलाती है. शुभंकर है, शृंगार है।
38 :: मृक माटी