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अविकल्पी है यह दृढ़ संकल्पी मानव अर्थहीन जल्पन
अत्यल्प भी जिसे रुचता नहीं कभी !
सरकार उससे कर नहीं माँगती
क्योंकि
इस शिल्प के कारण
चोरी के दोष से वह
सदा मुक्त रहता है।
तनाव का भार-विकार कभी भी आश्रय नहीं पाता !
वह एक कुशल शिल्पी है ! उसका शिल्प
कण-कण के रूप में
बिखर माटी को
नाना रूप प्रदान करता है।
अर्थ का अपव्यय करना तो
बहुत दूर अर्थ का व्यय भी
यह शिल्प करता नहीं,
बिना अर्थ
शिल्पी को यह
अर्थवान् बना देता है; युग के आदि से आज तक
इसने
अपनी संस्कृति को विकृत नहीं बनाया
मूकमाटी 27