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आज ! ओस के कणों में उल्लास - उमंग हास - दमंग होश नजर आ रहा है।
आज । जोश के क्षणों में प्रकाश - असम विकास अभंग तोष नजर आ रहा है।
रोष के मनों में उदास - अनंग लें नाश का रंग बेहोश नजर आ रहा है।
आज ! दोष के कणों में त्रास तड़पन - तंग ह्रास का प्रसंग
और गुणों का कोष नजर आ रहा है !
यात्रा का सूत्रपात है ना
आज'! पथ के अथ पर पहला पद पड़ता है, इस पधिक का और
मृक पाटी :: 2!