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निशा इनकी बहन लगती है, सागर से शशि की मित्रता हुई अपयश - कलंक का पात्र बना शशि क्रिसी रूपक्ती सुन्दरी से सम्बन्ध नहीं होने से शशि का सम्बन्ध निशा के साथ हुआ, सो "सागर को श्रेय मिलता यह ! ............
मोह-भूत के वशीभूत हुए कभी किसी तरह भी किसी के वश में नहीं आते ये, दुराशयी हैं, दुष्ट रहे हैं दुराचार से पुष्ट रहे हैं, दूसरों को दुःख दे कर तुष्ट होते हैं, तृप्त होते हैं, दूसरों को देखते ही रुष्ट होते हैं, तप्त होते हैं, प्रतिशोध की वृत्ति इन की सहजा - जन्मजा है वैर-विरोध की ग्रन्थि इनकी खुलती नहीं झट से। निर्दोषों में दोष लगाते हैं सन्तोषों में रोष जगाते हैं बन्धों की भी निन्दा करते है
शुभ कर्मों को अन्धे करते हैं, सुकृत की सुषमा-सुरभि को सूंघना नहीं चाहते भूल कर भी, विषयों के रांसक बने हैं कषाय-कृषि के कृषक बने हैं जल-धर नाम इनका सार्थक है।
मूक मारी :: 229