________________
यहाँ चल रही हैं केवल
तपन तपन 'तपन''! भोग पड़े हैं वहीं .. भोगी चला गया... ... . .... .:::.::
योग पड़े हैं यहीं योगी चला गया, कौन किसके लिएधन जीवन के लिए था जीवन धन के लिए ? मूल्य किसका तन का चा वतन का, जड़ का क्या चेतन का ? आभरण आभूपण उतारे गये बसन्त के तन पर से वासना जिस ओट में छुप जाती वसन भी उतारा गया वह। वासना का वास वह न तन में हैं, न वसन में
वरन
माया से प्रभावित मन में हैं।
बसन्त का भौतिक तन पड़ा है निरा हो निष्क्रिय, निरावरण, गन्ध-शून्य शुष्क पुष्प-सा 1 उसका मुख थोड़ा-सा खुला है, मुख से बाहर निकली है रसना उसकी रसना थोड़ी-सी उलटी पलटी हैं, कुछ कह रही-सी लगती हैं..भौतिक जीवन में रस ना !
Isti :: मूक पाटो