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जल-पान का परिणाम हैं, परन्तु जल-धारण की क्षमता कब उभरेगी इसमें? जब माटी में चिकनाहट की प्रगति हो
और अनल का पान करेगी यह । माटी की चिकनाहर का । अपनी चूलिका तक पहुंचाने शिल्पी का आना हो रहा है।
प्रभात की पावन वेला में माटी के हर्ष का पार नहीं
और वहीं पर पड़ा-पड़ा इस दृश्य का दर्शन करता एक काँटा निशा के आँचल में से झाँकत्ता
चकित चोर-सा! मादी खोदने के अवसर पर कुदाली की मार खा कर जिसका सर अध-फटा है जिसका कर अध-कटा है दुबली पतली-सी कमर - कटि थी उसकी, वहीं अब और कटी है, जिधर की टाँग टूटी है उधर की ही आँख फूटी है, और चपला जवला उमर पर भी
भूकं मारी :: 9: