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सुनो, सही सुनो! मनोयोग से !
अकाय में रत हो जा !
काय और कायरता
ये दोनों
सूत्र मिला है हमें किकेवल वह बाहरी उद्यम हीनता ही नहीं,
वरन्
मन के गुलाम मानव की जो कामवृत्ति है
तामसता काय-रता है
वही सही मायने में भीतरी कायरता है!
अन्त काल की गोद में विलीन हों आगामी अनन्त काल के लिए!
94. मूक पाटी
फूल दलों-सी पूरी फूली माटी है माटी का यह फूलन ही चिकनाहट स्नेहिल भाव का
आदिम रूप-मूलन है।
और
रूखापन का, द्वेषिल-भाव का अभाव रूप उन्मूलन है।
यह जो गति आई है माटी में माटी ने जो किया