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मरकण्डिका
तावत् तिष्ठतु भूतले भगवती विध्वंसयन्ती तमः । सा चैषा श्रमदुःखनोदनपरा चन्द्रप्रमेवोज्ज्वला ||६||
होता है ||७|| जबतक मेरु शिखर पर पांडुशिला रहेगी, जबतक सिद्धोंसे प्रधिष्ठित सिद्धशिला त्रैलोक्य के शिखरपर विराजमान रहेगी, तबतक चन्द्रकांतिके समान उज्ज्वल, श्रमदुःखका परिहार करनेवाली, अज्ञानांधकारका नाश करनेवाली यह भगवती आराधना इस संसार में स्थिर रहे ||८||
प्रशस्ति समाप्त