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- उपसंहार :
इसप्रकार यह मरणकंडिका ग्रंथ पूर्ण हुआ। भाचार्य अमितगति विरचित संस्कृत पद्यमय स्वरूप इस ग्रंथका हिन्दी भाषानुवाद मैंने अढ़ाई मास में पूर्ण किया है। इसमें सिद्धांत कि नाग हुगा हो इसे बुद्धिमान जन संशोधन करके पढ़ें।
__ मानव जीवनका सार सल्लेखना पूर्वक मरण करना है, इस विषयका वर्णन करने वाले इस ग्रन्थ का सभी मुमुक्षुजन साधु श्रावक वर्ग अध्ययन करें।
मुमुक्षु भव्य जीवोंके आराधना संबंधी अज्ञान अंधकारको दूर करता हुआ यह भाषानुवाद चिरकाल तक भूमंडलपर प्रसिद्ध होवे ।
।। मरणकंडिका समाप्त ।।
ॐ शान्तिः
भद्रभूयात्