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ध्यानादि अधिकार
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कृष्णा नीला च कापोती तिस्रो लेश्या विहिता।
घोरो वैराग्यमापन्नः स्वैरिणीरिव मुचते ॥१९८६॥ अशुभ-गदित हैं । वैराग्यगे पाप्त हुए धीरपुरुष इन तीन लेश्याओंको छोड़ देते हैं, जैसे दुराचारिणी स्वच्छंद स्त्रीको धीर पुरुष छोड़ते हैं ॥१९८६।।
विशेषार्थ-कषायसे अनुरंजित योग प्रवृत्तिको लेश्या कहते हैं । यह लेश्याका सामान्य लक्षण है। यह लक्षण भाव लेश्यका है । द्रव्य लेश्या तो शरीरके वर्ण रूप हैं। द्रव्य लेश्याके छह भेद शरीरको कोतिरूप है उसका यह कथन नहीं है। यहां भाव लेश्याका कथन है । कृष्ण, नोल, कापोत, पीत, पद्म और शुक्ल ऐसे छह भेद लेश्याके जानने । इन छहों लेश्या वाले विभिन्न व्यक्तियोंके परिणाम-भाव किसप्रकार विभिन्न होते हैं इसके लिये प्रसिद्ध उदाहरण है कि-छह पथिक देशान्तरमें जा रहे थे, जंगल में मार्ग भूल गये । क्षुधासे पीड़ित होकर इधर-उधर भटक रहे थे कि कहीं पर कुछ भूख दूर करने का साधन बने । इतने में एक फलोंसे भरा वृक्ष दिखाई देता है उस वृक्षपर छह पुरुषों को एक साथ दृष्टि पड़ती है और सबके मन में पृथक-पृथक् रूपसे इस तरह विचार माते हैं । एक पुरुष सोचता है कि अहो ! अच्छा हुआ यह वक्ष फलोंसे भरा है मैं इसको जड़से काटकर फलोंको खावूगा । दूसरा व्यक्ति विचारता है इस वृक्षको बड़ो-बड़ी शाखायें काटकर फल खाना चाहिये । तोसरा चिंतन कर रहा है कि छोटी-छोटी डालियो तोड़कर फल खाबू गा । चौथा पुरुष सोचता है कि फलोंके गुच्छे सोड़कर भक्षण करना चाहिये । पांचवां व्यक्ति विचारता है कि वृक्ष में जो जो फल पके हैं उन्हें हो तोडूगा अन्यको नहीं । और छटा महामना सोच रहा है कि वृक्षके नीचे भूमिपर फल पड़े हैं स्वत: गिर गये हैं उन्हें खाना है । सबने एक साथ वृक्षको देखा है सबको भूख लगी है, सभी थके हुए हैं किन्तु भाव भिन्न-भिन्न हो रहे हैं । जो वृक्षको मूलतः काटनेके भाव कर रहा है वह कृष्ण लेश्याघाला है। क्योंकि इसके भाव अत्यधिक कठोर है अतः काला मनवाला-कृष्ण लेश्यावाला है । वृक्षको बड़ी शाखायें काटनेको भावना वाला नीललेश्या संसक्त है, पूर्वकी अपेक्षा आंशिक कठोरता कम है। छोटी डालियां काटनेकी सोचनेवाला कापोत लोश्यादाला समझना । गुच्छे तोड़ने की इच्छा. वाला पोस लेश्यायुक्त है। पके फलोंको तोड़ने का इच्छुक पा लेश्यावाला माना जायगा एवं भूमिगत फलोंको लेने का वांच्छक श्रेष्ठ शुक्ल लेश्यावाला समझना चाहिये ।
इन लेश्याओंके धारक पुरुषोंके चिह्न विस्तारपूर्वक इसप्रकार जानना चाहियेजो दुराग्रही है, दुष्ट, क्रोधादि कषायोंकी तीव्रता युक्त, सतत वैरभाववाला कलहप्रिय