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ध्यानादि अधिकार
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विशेषार्थ - अस्तिकाय - बहुप्रदेशो द्रव्यको अस्तिकाय कहते हैं, ये पांच हैं जीवास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय, धर्मारितकाय, अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय । एक एक जीव में असंख्यात प्रदेश पाये जाते हैं । मुद्गलमें किसीमें संख्यात, किसो में असंख्यात और किसी में अनंतप्रदेश पाये जाते | धर्मद्रव्य और अधर्मद्रव्य में एक एकमें असंख्यात प्रदेश हैं | आकाशके दो भेद हैं लोकाकाश, अलोकाकाश । लोकाकाश में असंख्यात और अलोकाकाश में अनंतानंत प्रदेश हैं । अतः ये पांचों ही अस्तिकाय नामसे कहे जाते हैं । "अस्ति" मायने है-मौजूद । " काय" मायने बहुत, इसप्रकार अस्तिकाय का अर्थ है । इन पांचोंमें एक काल द्रव्य मिलानेपर छह द्रव्य होते हैं । जीव, अजीव, मानव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष ये सात तत्त्व हैं । चेतना लक्षणवाला जीव है । इससे विपरीत अचेतन अजीव है । इस अजीव तत्वमें पुद्गल, धर्म, अधर्मं, आकाश और काल द्रव्य अंतर्भूत हो सकते हैं अर्थात् केवल सात तत्वोंका वर्णन करते समय छह द्रव्योंमेंसे जीवद्रव्य जीव तत्त्वमें और पुद्गलादि शेष द्रव्य अजोव तत्त्व में अंतर्निहित कर लेते हैं क्योंकि ये पाँच जड़-अजीव हैं। जिसमें स्पर्श, रस, गंध और वर्ण गुण पाये जाते हैं वह पुद्गल द्रव्य है, ये दृष्टिगोचर होनेवाले दिखायी देनेवाले जितने भी पदार्थ हैं ये सब पुद्गल द्रव्यरूप हैं। जीव और पुद्गलको गमनमें सहायी धर्मद्रव्य है जीव और पुद्गलको ठहरने में सहायो अधर्मद्रव्य या अधर्मास्तिकाय है । सभीका आधारभूत आकाश द्रव्य या आकाशास्तिकाय है । सभी द्रव्योंकी अवस्थायें पलटने में जो निमित्त होता है वह काल द्रव्य है यह बहुप्रदेशी नहीं है अतः अस्तिकायको कोटिमें नहीं आता । घंटा, दिन, वर्ष आदि व्यवहार काल है और आकाशप्रदेश में रत्नराशिवत् एक एक प्रदेश रूप अवस्थित कालद्रव्य निश्चयकाल है । इसप्रकार अजीव तत्त्वका वर्णन
जानना ।
जीवोंके रागादि विकारभावोंसे कर्मबर्गणाका जीव प्रदेशोंमें आगमन होना आस्रव तत्त्व है इसके द्रव्यास्रव भावास्रव रूप अनेक भेद प्रभेद हैं । जीव और कर्मप्रदेशोंका क्षोर नीरवत् संबंध होना बंध तत्त्व है | कमोंका आना रुकना संवर तत्त्व है । पुरातन कर्मोंका एक देश क्षय निर्जरातत्व है और संपूर्ण कर्मो का जीवसे पृथक् हो जाना मोक्ष तत्त्व है ।
इन बंध, संवर प्रादिके द्वय्य बंध, भाव बंध आदि आदि अनेक भेद हैं । इन सभी का स्वरूप, सर्वार्थसिद्धि, बृहत् द्रव्यसंग्रह आदि ग्रंथोंसे जानना चाहिये ।