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________________ अनुशिष्टि महाधिकार ६. नाभ्योनिर्गमन-यदि नाभिसे नीचे शिर करते आहारार्थ जाना पड़े । १०. प्रत्याख्यात सेवन-जिस वस्तुका देव या गुरुके पास त्याग किया है वह खाने में आ जाय । ११. जंतुवध-कोई जीव अपने सामने किसी जीवका वध कर देवे । १२. काकादि पिंडहरण-कौवा आदि हाथसे ग्रासका अपहरण कर ले। १३, ग्रास पतन-आहार करते समय मुनिके हाथसे ग्रास प्रमाण आहार गिर जावे। १४. पाणी जंतुवध-आहार करते समय कोई मच्छर, मक्खो आदि जंतु हाथमें मर जावे । १५. मांसादि दर्शन-मांस, मद्य या मरे हुए का कलेवर देख लेनेसे अंतराय है । १६. पादांतर जीव-यदि आहार लेते समय परके नीचेसे पंचेन्द्रिय जीव चूहा आदि निकल जाय । १७. देवाद्य पसर्ग-आहार लेते समय, देव, मनुष्य या तिथंच आदि उपसर्ग कर देखें । १८. भाजनसंपात-दाताके हाथसे कोई बर्तन गिर जाय । १९. उच्चार-यदि आहारके समय चांडालादिका घरमें प्रवेश हो जावे । २०. प्रस्रवण-यदि आहारके समय मूत्र विसर्जन हो जाये। २१. अभोज्य गृहप्रवेश-यदि आहारके समय चांडालादिके घर में प्रवेश हो जाये । २२. पतन-आहार करते समय मुर्छा आदिसे गिर जाने पर । २३. उपवेशन-आहार करते समय बैठ जानेपर । २४. सदंश-कुत्ते बिल्ली आदिके काट लेने पर। २५. भूमिस्पर्श-सिद्ध भक्तिके अनंतर हायसे भूमि का स्पर्श हो जाने पर । २६. निष्ठीवन-आहार करते समय कफ, थूक आदि निकलने पर । २७. वस्तुग्रहण-आहार करते समय हाथसे कुछ वस्तु उठा लेने पर । २८. उदर कृमिनिर्गमन-आहार करते समय उदरसे कृमि आदि निकलने पर ।
SR No.090280
Book TitleMarankandika
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
AuthorJinmati Mata
PublisherNandlal Mangilal Jain Nagaland
Publication Year
Total Pages749
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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