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________________ २२८, मरएकण्डिक ये धर्मभावमज्जावि प्रेमरामानुरंजिताः । जैने संति मते तेषां, न किंचितस्तु दुर्लभम् ।।७७०॥ श्रेणिको व्रतहीनोऽपि निर्मलीकृतदर्शनः । पाहत्यपदमासाद्य सिद्धिसौषं गमिष्यति ॥७७१॥ धर्मानुराग, भावानुराग, मज्जानुराग और प्रमानुराग इन रागोंमें जो रंजायमान हैं उनके लिये जैनमत में कुछ भी वस्तु दुर्लभ नहीं है ।।७७०।। विशेषार्थ-कोई लोग भावानुरागी होते हैं, जैसे श्रेष्ठी जिनदत्त । अर्थात् जो जिनेश्वरने वस्तुस्वरूप कहा है वह सत्य हो है ऐसा दृढ़ श्रद्धान करनेवाला मनुष्य तत्त्व का स्वरूप मालम नहीं हो तो भी जिनेश्वरका कहा हुआ तत्त्व कभी असत्य नहीं होता ऐसी श्रद्धा भावानुराग है । मज्जानुराग-जैसे पांडवोंमें जन्मसे लेकर ही अतिशय स्नेह था वह मज्जानुराग है। प्रेमानुराग--जसे मणिचूल नामके देवने अपने मित्र सगर चक्रवर्ती को बार बार समझाकर भोगोंसे विरक्त किया था, जिसके ऊपर प्रेम है उसे बारंबार समझाकर सन्मार्गमें लगाया जाता है वह प्रमानुराग है। धर्मानुराग-रत्नत्रय धर्ममें दृढ़-गाढ़ अनुराग, रुचि प्रतीति होना धर्मानुराग है । ये सब अनुराग जैनधर्मसे संबद्ध होनेसे उपयोगी हैं। ऐसे अनुराग करनेवाले के सब वस्तु सुलभतासे प्राप्त होती है, उन्हें कुछ भी दुर्लभ नहीं है अर्थात् ये अनुराग सम्यक्त्व युक्त होनेसे महान् हैं। ऐसे तो अनुराग हेय है किन्तु सम्यक्त्व युक्त जीवों में प्रारंभमें ये होते हैं । यहां विशेष यह दिखाना है कि अनुराग हेय होनेपर भी सम्यक्त्वके कारण श्रेष्ठ माने गये हैं। यह सम्यक्त्व की महिमा है । इसप्रकार सम्यग्दर्शन को श्रेष्ठता आचार्य देव क्षपक को बता रहे हैं। देखो ! सम्यक्त्वका माहात्म्य । निर्मल कर लिया है सम्यक्त्वको जिसने ऐसा श्रेणिक राजा प्रतोंसे होन होनेपर भी आर्हन्त्य पदको कारणभूत तीर्थकर प्रकृतिको प्राप्त करके आगे सिद्धिके सौत्रको-निर्वाणको प्राप्त करेगा ।।७७१।। राजा श्रोतिककी कथा भगवान महावीरके समयकी बात है, राजगृही नगरीमें राजा श्रेणिक राज्य करता था । उसको अनेक रानियां थी, उनमें प्रमुख चेलना थी। वह अत्यंत धर्मात्मा, सम्यक्त्व रत्नसे अलंकृत थी। राजाको पहले बोद्धधर्म में श्रद्धा थो। चेलना का और
SR No.090280
Book TitleMarankandika
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
AuthorJinmati Mata
PublisherNandlal Mangilal Jain Nagaland
Publication Year
Total Pages749
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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