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________________ [ २२५ अनुशिष्टि महाधिकार विषाग्निकृष्णसर्पाद्याः, कुर्वन्स्येकत्र जन्मनि । मिथ्यात्वमावहेद् दोषं, भवानां कोटिकोटिषु ॥७६०॥ विद्धो मिथ्यात्वशल्येन, तीवां प्राप्नोति धेदनां । कांडेनेव विषाक्तन, कानने निःप्रतिक्रियः ॥७६१।। मिथ्यास्वोत्कर्षतः संघश्रीसंज्ञस्य विलोचने । गलिते प्राप्तकालोऽपि, यातोऽसौ दीर्घसंसतिम् ॥७६२२॥ विष, अग्नि, कृष्णसर्प आदि एक जन्ममें दोष उत्पन्न करते हैं मृत्युको करते हैं । किन्तु मिथ्यात्व करोड़ों-करोड़ों भवोंमें दोष करता है ।।७६०।। मिथ्यात्व शल्यसे विद्ध हुआ जीव तीब्र वेदनाको प्राप्त होता है, जिसप्रकार कि जंगलमें जिसके पास प्रतीकार करनेका कोई साधन नहीं है ऐसे जीवके विषले कांटेसे विद्ध होनेपर तीव्र वेदना होती है ॥७६१।। संघश्री नामके व्यक्तिके मिथ्यात्व भावकी तीव्रताके कारण दोनों नेत्रोंको ज्योति नष्ट हो गयी थी और अन्त में मरण कर वह दीर्घ संसारी हो गया था ।।७६२।। __ संघश्री मन्त्री को कथा आन्ध्र देश के कनकपुर नगर में सम्यक्त्व' गुण से विभूषित राजा धनदत्त राज्य करते थे । उनका सङ्घश्रो नामका मन्त्री बौद्धधर्मावलम्बो था । एक दिन राजा और मन्त्री दोनों महल की छत पर स्थित थे। वहां उन्होंने चारण ऋद्धि धारी युगल मुनिराजोंको जाते हुये देखा । राजा ने उसी समय उठकर उन्हें नमस्कार किया और वहीं विराजमान होकर धर्मोपदेश देने को प्रार्थना को। मुनिगणों ने राजा की विनय स्वीकार कर धर्मोपदेश दिया, जिससे प्रभावित होकर मन्त्री ने श्रावक के व्रत ग्रहण कर लिये और बौद्ध गुरुओंके पास जाना छोड़ दिया । किसी एक दिन बौद्ध गुरु ने मन्त्री को बुलाया । मन्त्रो गया, किन्तु बिना नमस्कार किये ही बैठ गया। भिक्षु ने इसका कारण पूछा, सब संघश्री ने श्रावक के व्रत आदि लेने की सम्पूर्ण घटना सुना दी। बौद्धगुरु जनधर्मके प्रति ईर्षासे जल उठा और बोला-मन्त्री ! तुम गाये गये, भला आप स्वयं विचार करो कि मनुष्य आकाश में कैसे चल सकता है ? ज्ञात होता है कि राजा ने कोई षडयन्त्र रचकर तुम्हें जैनधर्म स्वीकार कराया है। भिक्षुक की बात सुनकर अस्थिर बुद्धि पापात्मा मन्त्री ने जैनधर्म छोड़ दिया । एक दिन राजा ने अपने
SR No.090280
Book TitleMarankandika
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
AuthorJinmati Mata
PublisherNandlal Mangilal Jain Nagaland
Publication Year
Total Pages749
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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