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आभार
परम पूज्य आचार्य १०८ श्री वर्धमानसागर जी महाराज की मंगल भावना इस ग्रन्थ के लेखनप्रकाशन में हमारी प्रेरक रही है। मैं आपके श्रीचरणों में सविनय सादर नमन करता हुआ आपके स्वस्थ दीर्घ जीवन की कामना करता हूँ।
प्रश्नोत्तर रूप भाष्यकी पूज्य आर्यिका विशुद्धमती माताजी का मैं अतिशय कृतज्ञ हूँ जिन्होंने मुझ पर अनुग्रह कर इस ग्रन्थ के सम्पादन-प्रकाशन का गुरुतर उत्तरदायित्व मुझे सौंपा। जो कुछ बन पड़ा है वह सब पूज्य माताजी के ही ज्ञान और श्रम का मधुर फल है। पूज्य माताजी रत्नत्रय से विभूषित हो २२ जनवरी २००२ को नन्दनवन (धरियावद-राज.) में समाधिस्थ हुईं। त्रिलोकसार, सिद्धान्तसारदीपक, तिलोयपण्णत्ती, क्षपणासार, योगसारप्राभृत, मरणकण्डिका आदि भाष्यग्रन्थों एवं अनेक संकलित-सम्पादित कृत्तियों के रूप में आपका अवदान चिरस्थायी रहेगा। मैं यही कामना करता हूँ कि पूज्य माताजी की पुनीत आत्मा स्वर्गिक सुखों के उपभोग के अनन्तर नर पर्याय धारण कर मुक्तिसुख की स्वामिनी बने।
न्य आर्यिका प्रशान्तगती माताजी अपनी ब्रह्मचारिणी अवस्था से पूज्य माताजी के सान्निध्य में रही हैं और उन्हीं की शिक्षा-दीक्षा के अनुरूप आर्यिका व्रतों का सम्यक् रीत्या पालन कर रही हैं। वे माताजी
की चतुर्विध आराधना और सारस्वताराधना की साक्षी और सहयोगिनी रही हैं। उन्होंने इस ग्रन्थ के लिए दो शब्द लिखे हैं, एतदर्थ मैं उनका भी आभारी हूँ।
ग्रन्थ के प्रकाशन हेतु अर्थसहयोग किया है जिनधर्मानुरागी श्रीमान् सुमतिलालजी डागरिया पारसोला निवासी ने। विगत दस वर्षों से आप सर्वक्रतु विलास, उदयपुर में निवास कर 'वर्द्धमान ट्रेडर्स' नाम से सूर्या लाइटिंग डिवीजन का व्यवसाय संभाल रहे हैं। यों बीस वर्षों से 'ग्रीन फ्लेग ट्रेडिंग कम्पनी' के नाम से कुवैत में आपका इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का व्यवसाय चल रहा है। आपके परिवार में चार सुयोग्य पुत्र-विजय, संदीप, हितेश, शीतल और एक पुत्री सुलोचना - सभी विवाहित हैं। सहधर्मिणी श्रीमती कान्ताजी की जिनधर्म में अटूट श्रद्धा है। सच्चे देवशास्त्रगुरु की भक्ति में संलग्न रहने वाले इस परिवार की धर्मनिष्ठा निरन्तर वृद्धिंगत होती रहे, यही कामना है।
श्रुतोदय ट्रस्ट ने ग्रन्थ का प्रकाशन किया है। मैं ट्रस्ट के नियामक श्रीयुत हँसमुख जैन का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ और श्रुताराधना व श्रुतसेवा के लिए उन्हें साधुवाद देता हूँ।
त्वरित और शुद्ध एवं सुन्दर प्रकाशन के लिए निधि कम्प्यूटर्स, जोधपुर के श्री क्षेमंकर पाटनी एवं हिन्दुस्तान प्रिन्टिंग हाउस के कर्मचारियों को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ।
पुनः इन सभी श्रमशील पुण्यात्माओं के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं और सम्पादन-प्रकाशन में रही कमियों के लिए सविनय क्षमा चाहता हूँ।
'अविरल ५४-५५, इन्द्रा विहार सेक्शन ७ विस्तार योजना न्यू पावर हाउस रोड, जोधपुर
डॉ, चेतनप्रकाश पाटनी
सम्पादक २५-१२-२००३