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________________ + मरणकण्डिका- ४०१ यैः पोष्यन्ते दुःख-दान- प्रवीणास्तेषां पीडां ये ददन्ते दुरन्ताम् । भीमाकारा व्याधयो वा प्ररूढाः, सन्त्यक्षार्थाः कस्य ते न क्षयाय ॥१४१९ ॥ ॥ इति सामान्याक्ष - कषाय-दोषाः ॥ अर्थ- जो भयंकर दुख देने में प्रवीण हैं, प्राणियों को दुरन्त पीड़ा देने वाले अशुभ कर्मों को जो पुष्ट करते हैं और जो उत्पन्न हुए भयंकर रोगों के सदृश हैं वे इन्द्रियजन्य विषय किसका नाश नहीं करते ? अपितु सभी को भयंकर दुख देते हैं ॥ १४१९ ।। इस प्रकार सामान्यरूप से कषायों एवं इन्द्रियों के दोषों का कथन पूर्ण हुआ ।। ये रामा - काम - भोगानां प्रपञ्चेन निरूपिताः । अक्षाणामपि ते दोषा द्रष्टव्याः सकलाः स्फुटम् ।। १४२० ।। अर्थ- स्त्री और काम भोगों के जो दोष विस्तार पूर्वक पहले कहे गये हैं, वे सभी दोष इन्द्रिय-विषयों में होते हैं, ऐसा निश्चय करना चाहिए । १४२० ॥ इन्द्रियजन्य दोषों का विशेष कथन मधु - लिप्तामसेर्धारां, तीक्ष्णां लेढि स मूढ - धीः । इन्द्रियार्थं सुखं भुङ्क्ते, यो लोकद्वय दुःखदम् ।। १४२१ ।। अर्थ - जो मनुष्य दोनों लोकों में दुख देने वाले इन्द्रिय-भोगों को सुख मान कर भोगता है, वह मूढबुद्धि मान मधुलिप्त तलवार की तीक्ष्णधार को जिह्वा से चाटता है ।। १४२१ ॥ प्रश्न - इस श्लोक का क्या भाव है ? उत्तर के इसका भाव यह है कि जैसे मधुलिप्त तलवार की तीक्ष्ण धार जिह्वा से चाटते समय मधु कारण प्रारम्भ में थोड़ा सुख होता है किन्तु जिह्वा कट जाने से बहुत दुख होता है, वैसे ही विषय-भोगों में सुख अल्प होता है और दुख भयंकर होते हैं। - रूप-शब्द-रस- स्पर्श-गन्धासक्ता यथाक्रमम् । पतङ्ग - मृग-मीनेभ- भ्रमराः प्रलयं गताः ।। १४२२ ॥ - अर्थ तिर्यंचगति में जन्म लेने वाला रूपासक्त पतंगा, शब्दासक्त मृग, रसासक्त मछली, स्पर्शसक्त हाथी एवं गन्धासक्त भ्रमर नष्ट हो जाता है अर्थात् एक-एक विषय की आसक्ति भी इन प्राणियों के लिए प्राणघातक होती है || १४२२ ॥ मनुष्यगति का विषय राग रूप-शब्द-रस- स्पर्श-गन्धानां यदि हन्यते । एकैकेन तदा कस्य, सौख्यं पञ्चनिषेविणाम् ॥ ११४२३ ।। अर्थ - जब रूप, शब्द, रस, स्पर्श एवं गन्ध इन पाँच विषयों में से एक-एक विषयाधीन पतंगे आदि
SR No.090279
Book TitleMarankandika
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherShrutoday Trust Udaipur
Publication Year
Total Pages684
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size16 MB
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