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भणितं असा कि ता भइ राज णिलि लक्खियउ पचु भो ण रहमि चप्पियर जेहिं ते जड कुगुरु जं जलु तं जिणवर्रिदेवयणु हरिवीकारोहणु सुगइहुं
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महापुराम
किं
परमुण्णद्दि णिउ |
पई जीवियन्तु मह रक्खियउ | पई दिड दंसणु दर्ज कद्दमि ! जो पंकु तं जि दुग्गइविहुरु | धोम हुं सुविसुद्ध तणु । पुणु कह संतुषियसंतमुहुं ।
पत्ता - मई देसि चारणभासिस देव कयाइ पण संचलइ ॥ सर्दु सा पर्कमा आउ तुहार परिलम् ||१०||
कमकमलपडियभुवणत्तयहो तियसिंदविदवं वियपयो क्त्त च पीणी भूय इत्थिद्दडा इव घंटामुहल जलणिहिवेला इव सरयणिय does व विषकुसुमथश्य घा इव दित्तदीषसहिय अट्ठाई महिवि जिणाहि व पाउमा मरणचिहि तेण कय
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कल्लाणमित्तु बंध परमु । आलग्गणखंभु सुसंतियरु | हवं एवहिं संणाणि सरमि । पुरि अपवि पुत्तहु अइबलहो ।
ता भगइ महाबलु रयविरमु बप्प मज् दाहिणउ करु आण्णमरणु किं तर कैरमि इय जंपिवि मंडलिकरयलहो परियणसयणाई खमा हयई aणुमय सिर षि मुंडियई मलभरियई परियई छंडिय णीसे परिग्गहु परिहरिवि पच्छा घुतसाहारवणि
भावणसुतरं भावियई । इंदियई खगिदे इंडियई । मायामिच्छत्त खंडियई । अरहंतु भारउ संभरिवि । थि सहससिहरि जिणवरभवणि ।
अत्ता – अहिसित्तई सुद्धपवित्तई जिणपडिबिंगई पुज्जिय ॥ इयभमरहिं चालियचमरहिं खयरकुमारहिं विजियई || ११||
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उन्मासिथसियत्तत्त हो । पारद्ध पुज्ज परमध्ययो । माया इव उचाई धूर्यै । वरणरवइसेवा इष सद्दल | वेसा इव दरिसियदप्पणिय | - इलविछ व परकेछ । सुरसिहरि व चंदणमहमहिय । बावीस दिवस संणासगइ | सुहाणारंभ प्राण गय |
B परियल
७. P परमुष्णद्र णिहिउ । ८. B चंपियउ । ९.
११. १. MBP आसण्णु मरणु । २. MBP चरमि । ३. MBP संणासणु करमि । ४. M जियभाषण । ५. MBP णीसेसु । ६. MBP पुष्णवित्त ।
१२. १. MBP पीणियभुमहो । २. MRP उच्चाइमघुन हो; T धूय पुत्रो धूपश्च । ३. MB कृपणय ।
Y. K omits this line. 4. MBP |