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[२१.८४
* महापुराण कहि मल्ल3 धारहि परिगेलिज घरणिय लि कलेबरु रुलुघुलिउ । गुरुणा भवपासणासकरई कहियाई पंचपरमक्खरई । असुथामु विसेणे झाडत्ति हउ गर जीउँ ईसिउचसमियरस । अलयारि रायट्र तणइ घरे उप्पण्णु मणोहराहि उयरे। सो एहु महाबलु भोयरसु पउ मुयइ तेण सणियाणवसु । घत्ता-मिच्छत्ते मणकुडिलने अवरु णियाणणिबंधणेण ।।
जगु ताविउ आवइ पापित पं वणगयउलु बंधणेण ||८||
स्थित्तविवाइहिं दुग्मइविं संभिण्णमहामइसयमहहिं । मुयदंखिहि चप्पिवि पेल्लियउ अप्पाण कदम लियड । पई कढिवि सुचिवारिहिं पहनिट उचाइवि सीहासणि विउ | णिसि सिविणइ अज्जु णियच्छियउ तुह णा दुरिउ दुगुंछियउ । सुत्तुहिन काई मि उ चवई अच्छह चिंताऊरिउ णिवइ। दिट्ठल णिमित्तु तं णए कहा आगमणु तुहारउ मणि महइ। अचिरेण जाहि हुमंदिरहो भमस व भमंतु इंदीवरहो। जाण कहइ सो पस्थिवु सुयणु ता पहिलज सिविण तुहुँ जि भणु । अण्णु वि लइ टुकी व येणियइ एवईि सो एक्कु मासु जियइ । पडिवज्जइ धम्मु म भंति करु दिवसहि होसह तेलोकगुरु । संबोहहि जाइवि तुरि तुई पावेसइ भव्वु अर्णतु सुहुँ । तं णिसुणिवि जहवरत्रोल्लियउ णियहियवउ दुख सल्लिय उ । साहारिवि सुमरिवि जिणवयणु आलोइवि गर्मणिच्छइ गयगु । पत्ता-रिसि संसिवि बे विमंसिवि लहु संचल्लिउ मंतिवर ।।
पह पविमलु गुरु दसणजलु तपहइ जोयइ चोमसरु ॥९||
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तोवेत्ताहि णइयलि णिव्याडि चितइ सो बहुविह भिण्णमइ कि घणु ण णं पडिखलियमरु इय जाम कमेण विवेइयउ उट्टिवि आलिंगिउ णिव वरेण
खेयर खगवइदिदिहि घडिउ । कि गिरिवर गंण खयलगइ। फि पक्खि ण पहु पलंचकर । ता धुधु संगीवु पराइयउ । तेण वि णिवू पणविउ णियसिरेण ।
८. १. MRP परियलि । २. मिडत्ति विसेण । ३. P जीविउ इसिउक्सपियउ । ९. १. MRP गिच्छत्तविवाइहि । २. MRP सुश्वारिहि । ३. 17 सिविणउ अज्ज । ४. 1118P बुगंदिरह ।
५. MI खणिवइ । ६. MBP गणिज्छइ गमणु ।। १०. १. MIP ता एत्तहि । २. MB बहुविह् । ३. MB खपतः। ४, AMBP पिवेण णिवइयत्र ।
... Mer ममीउ। ६. MRP णिउ ।