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संधि ३७
जयराएं रयणविणिम्मियई पसरियकरणि संबई॥ तेवीसह जिणहं अणागयह बंदियाई पखिविंबई । धुवकं ॥
चंह मुंदेरि चेइयई जाम सहि अछिय मुणिवर थिण्णि ठाम | से तियसहि गय सहुँ समवसरणु जहिं णिवसइ रिसड तिलोयसरणु । वहुवरई णवेप्पिणु गुरुपयाई मम्गेण तेण ताई वि गयाई। पत्तेहि तेहिं होहिं चि जणेहि जिणदसणवंदणकयमणेहि। वरविजयवाइजर्यताइयाई दोरई पत्तारि पलोइयाई। तोरणइंमाणमंदरणिसुंभ माणिककरुजलमाणखंभ। सरवरपविमलजलखाइयाउ पप्फुजियवेलिड वेझ्याउ। पायारु पदिणिलणाई मुणिणाबरई सुस्तषणाई। जोयंतहिं जोयणमेत्तु दिछ मणिमंजस जहिं जगजणु णिविट्ठ। पत्तीस सुरिंद परिंदु एक भरहेसरु बीयत्र जाइ सछु। जोइसवइ आणिय घबसूर सम्पुरिसमहापुरिसारिजूर। किंणरवइ दोणि महोरईस ते कायमहाकायंकभीस। पत्ता-किंपुरिसह राणा विणि जण कहिय पुरिस किंपुरिस वि॥
परिणिहि सोमप्पहतणुरुहेण अवलोयवि वरविवि ॥१॥
गंधन्वहं पहु समविसमणाम जक्खिद पुण्ण मणिभर भणिय तहिं काल महाकाल चि पिसाय
रक्खसहं भीम अचंतभीम । भूयाहिव रूष विरूव भणिय' । दाविय गेहि णिहि पिसायराय ।
MB give, at the commencement of this Samdhi, the following stanza
गुरुधर्मोद्वपावनभिनन्दितकृष्णमर्जुनोपेतम् ।
भीमपराक्रमसारं भारतमित्र भरत तब चरितम ॥१॥ GK do not give it. १. १. MB°णितरंबई । २. MB सेवीसई । ३. M अणागयहं । ४, B सुंधर । ५. B ommits this
foot | ६. G करुज्जलु । . MB यंभ। ८. MB परिद । ९. MB किपुरिसा। १०.M
वरच्छवि; Bअवरविछवि। २. १. MB मुणिय।