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महापुराण
[३०.२१.६ एम्ब भणेप्पिणु बिणि विजायई संजमधर संजमवरकायई। आसीणई वसहिदि पलिया . बियाई कुरकुनीयक
: कंचणेचम्में विणि वि भावें वत्त मायामुणिवरदेव । किं कुइओ सि पुत्त लबसंतई अम्हई अच्छहुंचे वि जियंसई । सावल विरयजुयलु किं मारइ अन वि सो पटु हियइ विसूरह । घसा--जेणम्हई पावई मारियई सो सम्वत्थ गवेसिन ।
तगुरुह गुणवालणराहिवेण अप्पउ दुबखें सोसिउ ॥२१||
२२ जइ वि मुंयई तो षि किर ण मुयइ अम्हई वेणि वि भुजियमयई । जायई देवई दिवसरीरई अणिमामहिमाईहिं गहीरई। बार वार भव सुकिस पसंसिउ सुरमिहुणे णियरूज पदसिष। कणयवम्मु खमभाव लइयउ देवेंदिण्णभूसणवाइयउ । गउ णियवासहु सो खयरेसरू वपछदेसि सिवघोसु जिणेसरु । संवदहुँ संपत्तु सुरेस
अरुहदत्तु णामें चकेसम । अवरु वि सा अच्छर सो सुरषर संथुर संसमेणे तित्थंकरु । जिणे दिव्वझुणिरंजियकण्णाई छुडु छुडु सव्वई जाम णिसण्णई। ता तहिं पच्छइ सयमहरामउ अवइण्णउ सई मीणइणाम । जिणु चक्केसि पुच्छिउ पायडु किं घरयम्मषिहाणे वावडु। समज पुरंदरेण कि णायड देविजुयलु दारिसियमुहरायउ । केवलणाणपईवें दिट्टर
चकीसहु जिग्गणा सिट्ठउ। घत्ता--विहिं मालायारिहि दिछु वणे वंदिल मुणि हयकम्मउ ।।
कर मलिकरिवि आयणियउ भावे सावयधम्म उ ।।२२।।
लहेर पडे घरविहि परिक्ट्ट जाहुँ जिणिदभवणु ण पयट्टर 1 उत्तमंगु भत्तिइ जानेप्पिणु देच गमोरहंत पभणेप्पिा । बेवि चिर्वति चंदरविणयण पदम चिय कुसुमंजलिगयणई । एण जिओथं गलिया कालह एकहि बासरि लपलिलयालइ । एक्कहि पाणिपोमि फणि लग्गउ हाहारउ वयणाउ विजिग्गउ । सहि णियसहियहि पासु पधाइय सावि भुयंगमेण आसाइय। विसमविसाणलेण जलजलियई बिहि वि सरीरई महियलि घुलियई। ५. B वसुहहिं । ६. MB कंचणवणें । ७. M उत्तम् । ८, साविउ ।। २२. १. M13 मुयाई । २. MB दिन्ध । ३. GK TP संभषेण इति पाठेबादरेण । ४. M विणदिव्यं ।
५. MB तो। ६. M विणायउ । ७ MBणारिजुयल । २३.१. MB लइय। २. B वर पर। ३. MB जाहं ।