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________________ २७९ ३०. २१.५] हिन्दी अनुधाव पास आया हुआ है। आओ मैं तुम्हारा मेल कराता हूँ। इस समय मैं तुम्हारे विवाहकी अवतारणा करता हूँ ।" यह कहकर उसने उसे कन्धेपर चढ़ा लिया और विरत ( मुनि) के पास विरता ( आर्या ) को ले गया । आलिंगन करो, यह कहकर रतिलुब्ध उन दोनों को एक-एक करके बाँध दिया 1 क्षयको स्थिरता देनेवाली जलती हुई चितामें उस भयंकर भीमने उन्हें डाल दिया । सिकुड़ते हुए वे दोनों जल गये । और वह निर्दय अतासंग ( मुनि आर्यिका ) को जलाकर रस और मज्जा विश्रब्ध और गन्धसे दुर्वासित आकर अपने घरमें सो गया। ( रात में ) नींद में सोया हुआ वह बकता है- "अच्छा हुआ महिला के साथ मैंने दुश्मनको मार डाला ।" यह सुनकर वेश्या जान गयो । सूर्योदय होनेपर मुनि युगलको मरघट में जला हुआ देखा और राजा तथा पुरखतने अपना माथा पीटा। धत्ता - उस वेश्याने अपने मन में सोचा कि यह पाप किससे कहा जाये ? क्योंकि चाहे इस जन्म में हो, या दूसरे जन्ममें, पाप पापकी खा जाता है ||१९|| ana RRIONS २० हाहाकार कर नरसमूह रो पड़ा। राजाने अपनी निन्दा की। वध करनेवालेको लोगोंने खोजा । वह पापमार्गी नगरमें जाकर प्रवेश कर गया। दृष्टरूप और नाम मिटाकर, भव्य भावसे airकर नष्ट हो गया। एक दूसरे ( मुद्धि और आर्थिकाने ) विनाशको करुणाभावसे लिया, वे दोनों ही संन्यासी मरकर सीधमं स्वर्ग में उत्पन्न हुए, कान्तिसे सुन्दर मणिकूट विमानमें । देव मणिमाली था और देवी चूड़ामणि थी, मानो मेघों में बिजली शोभित हो रही हो । उनकी आयु मुनिगणके द्वारा बतायो पाँच पल्य प्रमाण थी। किसीने जाकर उशोरवतीके प्रजाके साथ न्याय करनेवाले, स्वर्णवर्मा नामके विद्याधर राजासे कहा कि संयमसमूहका पालन करनेवाले तुम्हारे दोनों माता-पिता को किसीने मार डाला । चत्ता - हे देव, वह पुण्डरीकिणी नगरी आग की लपटोंमें जल रही है, मुनिके घातक संग्रहकारी दृष्ट गुणपालको भी युद्धमें मार दिया गया है ॥२०॥ २१ यह सुनकर सेना के साथ गरजकर वह चला जैसे दिग्गज हो । सेना सिद्धकूट पर्वतपर पहुँची। वह देवमिथुन भो वहां पहुँचा । देवने देवोसे कहानी कही कि तुम्हारे पुत्रने प्रयाण किया है। हे मुग्धे, हम लोगोंका मरण सुनकर और गुणपाल राजाके ऊपर क्रुद्ध होकर नगरवरको
SR No.090274
Book TitleMahapurana Part 2
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages463
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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