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महापुराण पत्ता-भणु कि कहमि ण विरहु सहमि दुइइ पिय महु आणहि ॥
सा वेत्थु पुरे थिय जम्मि घरे तहिं जायवि संमाणहि ।।५।।
- पूई अन्धा ::. : यदि हरिकिणि पुरिसारी । बजयतु पहु बहु सुहगारी लच्छीमइ महवि भहारी। धीय ताहि सिरिमा सप्पण्णी पिउ सुमरिवि जोखियणिब्धिण्णी। पहु ताइ लिहियड कहवइयरु पई जाणियर्ड णिरुत्सउ तुई चहा एम भणेप्पिणु एवं एस्थाइय पडसंबंधिणि वत्त णिवेश्य । तावेसहि कुमार गउ तेत्तहि नप्पलखेडउ पुरषरु जेत्तहि । पियषिओयसिद्दिजालाछित्तउ घरि वलिमयलइ देहु णिहित्तउ । तरुणीवग्गुरवष्टि पलोइत्र वणवाहें मुंगु संभाविउ । पत्ता-इरिद्धपण मयरद्धपण विद्धत पंचहिं बाणहिं ।
विवरील हुन सो रायसुख कह व ण मुकत प्राणहिं ॥६॥
दुप्परिणामें कामें तप्पड
सीयलमलयजपं लिप्पद। रसइ हसणीससइ विरुझाइ उउ बहसइ मोहें मुझइ। कर मोडइ धम्मेजय मेझाइ अहरु इसई अणिबद्ध पयोलाइ । वेयइ बलइ विलासहिं गच्छा परु पच्छैण्णु पउत्तिहि पुच्छ । एकहि णिलइ ण णिविसु वि अच्छइ दिसि लिहियं पिय पियमुहूं पेच्छद । नहाइ ण धुषाण जिणवर पुजा भूसणु लेहण भोयणु मुंजई। रमाइण कंदुर तुरहण बाइइ करि वि रहु वि णयेणेहिं ण चाहइ । गेड ण सुगइण वजन वायद पर णिम्मीलियच्छु पँय शायद । एकु वि रायविणो ण माण कामगहिल्लर कि पि ण याणइ । मंतिहिं बञ्जबाहु विण्णवियउ तणउ देव मयणे परिई वियउ । घत्ता-दुई सइहि लकडीमइहि जा सिरिमइ तहि रत्त॥
हुकी णियइ दुकर जियह कामाणलसंतसउ ॥७॥ १२. MBF जेस्य । १३. MBP हरे । ६. १. MBP बुत्तु । २. MBP ताहि । ३. M वगगुरू पहिउ विलोइउ; P वग्गुरु वहिन विलोइन ।
४. MBP मिगु । ५. M रहविद्धएण; P रइरिदिएण । ६. MBP पाणहि । ७. १. MBP अणिदबउ बोल्लइ । २. MB पच्छण । ३. P णिमिसु । ४. M तुरिउ । ५. MBF
णयहि वि ण । ६. P परि । ७. MBP पिय । ८. P परिहाविच ।