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________________ स्तम्भ २: कथा धर्मशर्माभ्युक्य की कथा का आधार जैन धर्म की मान्यता के अनुसार सीर्थ-धर्म की प्रवृत्ति करनेवाले २४ महापुरुष होते हैं जिन्हें तीर्थकर कहते हैं । यह तीर्थकर दश कोडाकोड़ी सागर के प्रमाणवाले प्रत्येक उत्सपिगी और अवसर्पिणी के युग में होते आये हैं। इस समय यहाँ अवसर्पिणी का युग चल रहा है। एक-एक युग के सुषमा-सुषमा आदि छह-छह भेद होते हैं । वे ही छह काल कहलाते हैं। तीर्थंकरों की उत्पत्ति तृतीय काल के अन्त से लेकर चतुर्थ काल के अन्त तक होती है । इस युग के तीर्थंकरों में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे और अन्तिम तीर्थंकर महावीर । धर्मनाथ, पन्द्र हवे तीर्थंकर थे, इन्हीं का पात्रन चरित्र काव्य की शैली से धर्मशमयुिदव में लिखा गया है।। गुणभद्राचार्य के उत्तरपुराण के ६१३ पर्व में और महाकवि पुष्पदन्त के अपभ्रंश महापुराण की ५९वीं सन्धि में धर्मनाथ तीर्थंकर का चरित्र संक्षेप से लिखा मिलता है। उसरपुराण' में यह चरित्र केवल ५५ श्लोकों में और महापुराण की ५९वीं सन्धि के प्रथम ७ कड़वकों के अन्तर्गत मात्र १४१ पंनियों में वर्णित है। उसी संक्षिस कथा को महाकवि हरिचन्द्र ने अपने इस काव्य में बड़ी सुन्दरता के साथ पल्लवित किया है। यद्यपि सामान्य रूप से धर्मशर्माम्युदय की कथा का आधार उत्तरपुराण और अपभ्रंश महापुराण माना जाता है परन्तु उसमें धर्मनाथ के माता-पिता के नाम दूसरे दिये है । धर्मशर्माभ्युदय में पिता का नाम महासेन और माता का नाम सुनता बतलाया है जबकि उस रपुराण और महापुराण में पिता का नाम भानु महाराज और माता का नाम सुप्रभा दिया हुआ है। उनमें स्वयंवर यात्रा का वर्णन नहीं है। धर्मशम्युदय के फर्ता ने काव्य की शोभा और सजावट के लिए उसे कल्पना-शिल्पि-निर्मित किया है। स्वयंवरयात्रा के कारण इसमें काव्य के कितने ही अंगों का वर्णन अच्छा बन पड़ा है। अन्त में समवसरण के मुनियों को जो संख्या दी है उसमें भी नहीं कहीं भेद प्रतीत होता है। इस महाकाव्य की कथा २१ सर्गों में निरूपित है जो आगे दी जायेगी। जीवन्धरचम्पू की कथा का आधार गचिन्तामणि, क्षत्रचूड़ामणि, जीवकचिन्तामणि और जीवन्धरचम्पू की कथा एक सदृश है। स्थानों तथा पात्रों के नाम एक सदशा है, घटनाचक्र-वृत्तवर्णन भी तोनों का समान है परन्तु उत्तरपुराण का वर्णन जहाँ कहीं समानता रखता है तो अनेक कथा
SR No.090271
Book TitleMahakavi Harichandra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Sahityacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages221
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size4 MB
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