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________________ प्रस्तावना महाकवि हरिचन्द्र संस्कृत साहित्य जगत् के प्रख्यातनामा फवि है । कोमलकान्तपदावली के द्वारा नवीन-नवीन अर्थ का प्रतिपादन करना कवि की विशेषता है। यह कवि, कल्पनाओं के अन्तरिम में उड़ान भरने में सिद्ध हुआ है तो इसके अगाध सागर में डुबकी लगाने में भी अतिशय निपुण है । इनको 'धर्मशर्माभ्युदय' और 'जीवन्धरचम्मू ये दो अमर रचनाएं हैं। 'धर्मशर्माभ्युदय में पन्द्रहवें तीर्थकर धर्मनाथ और 'जीवन्धरचम्पू' में जीवन्धर स्वामी का जीवन-चरित वर्णित है। कथा पौराणिक है परन्तु कवि ने उसे काव्यमयी भाषा में ऐसा अवतीर्ण किया है कि उसे पढ़कर पाठक का हृदय भाव-विभोर हो जाता है। धर्मशर्माम्युदय और जीवन्धरचम्पू दोनों ही ग्रन्थ मेरे द्वारा सम्पादित तथा हिन्दी अनुवाद से अलंकृत हो भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हो चुके हैं। दोनों ग्रन्थों की प्रस्तावनाओं में अन्यकर्ता तथा काथ्य की विधाओं पर संक्षिप्त सा प्रकाश डाला गया है । इस 'महाकवि हरिचन्द्र : एक अनुशीलन' नामक शोध-प्रबन्ध में उन्हीं दो अन्थों की विस्तृत समीक्षा की गयी है। ग्रन्थकर्ता के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालने के अतिरिक्त ग्रन्थों की अम्यन्तर सामग्री का परिचय तथा शिशुपालवध, किरातार्जुनीय, नैषध तथा चन्द्रप्रभचरित आदि ग्रन्थों से तुलनात्मक उद्धरण भी अंकित किये गये हैं। इस शोध-प्रबन्ध के चार अध्यायों का संक्षिम सार निम्न प्रकार है। प्रबन्धसार प्रथमाध्याय काव्यधारा 'महाकवि हरिचन्द्र : एक अनुशीलन' नामक इस शोध-प्रबन्ध में चार अध्याय है। प्रथमाध्याय में 'भाधारभूमि' और 'कथा' नामक दो स्तम्भ है । 'आधारभूमि' स्तम्भ के १. काव्यधारा, २. महाकवि हरिचन्द्र-व्यक्तित्व और कृतित्व, ३. अम्युदयनामान्त काम्यों की परम्परा और ४. महाकाव्य-परिभाषानुसन्धान नामक चार स्तम्भों में-पचकाव्य, गद्यकाव्य और चम्पूकाव्यों की चर्चा करते हुए चम्पूकाव्यों का ऐतिहासिक क्रम से परिचय दिया गया है। नलचम्पू, यशस्तिलकचम्पू, जीवन्धरचम्यू और पुरुदेवयम्पू का कर्ता के
SR No.090271
Book TitleMahakavi Harichandra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Sahityacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages221
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size4 MB
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