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________________ ५० महाकवि दौलत राम कासलीलाप्ल–ब्यक्तित्त एवं कृतित्व समान मूढता कहां ।।१०।। अब संध्या दुष्ट की मित्रता समान निष्फल' डिगती भासे है वंसी है दुष्ट की मित्रता अत्यन्त सुख विष है राग जिसका अर क्षण मात्र में राग मिट जाय है पर यह सांझ भी प्रथम तो राग कहिये प्रारक्तरूप भासे है। अर क्षरण मात्र में प्रारक्तता मिट जाय है ।। भावार्थ-- अन संध्या की भी ललाई मिटे है ।।८१|| अब सूर्य की प्रभा सज्जन को मित्रता समान बड़े है कैसी है मित्रता अबष्य कहिये सफल है अर्थ जिस विष पर कैसी है सूर्य की प्रभा सफल है सकल कार्य जिस विषे ।।२।। १४ परमात्म प्रकाश भाषा "परमात्म प्रकाश" भाचार्य योगीन्दु की (६-७वीं शती) कृति है जिसकी रचना का प्रमुख उद्देश्य प्रभाकर भट्ट के उद्योधन के लिए रहा था । मर भ्रंश भाषा में निबद्ध यह ग्रंय अध्यात्म विषय का प्रमुख ग्रन्थ माना जाता है। यह दोहा छन्द में लिया गया है, जिसकी संख्या ३४५ है । इसके दो अधिकार है; जिनमें बहिरात्मा, अन्तरात्मा एवं परमात्मा के स्वरूप का वर्णन किया गया है । यह जैन साहित्य की एक लोकप्रिय कृति रही है। ___ महाकवि दौलत राम कासलीवाल ने इस पर हिन्दी में विस्तृत टीका लिखी; जो ६८६० श्लोक प्रमाण है; जैसा कि स्वयं कवि ने निम्न प्रकार उल्लेख किया है 'यह परमात्म प्रकाश ग्रन्थ का व्याख्यान प्रभाकर भट्ट के संबोधने प्रथि श्रो योगिन्द्र देव ने कीया था ता परि श्री ब्रह्मदेव ने संस्कृत टीका करी । श्री योगीन्द्राचार्य नै प्रभाकर भट्ट संबोधिवे के अथि दोहा तीनस तीयालीस कोए ता परि ब्रह्मवेय ने संस्कृत टीका हजार पांच च्यारि ५००४ कोए ता परि दौलतराम ने भाषा वनिका का श्लोक अहसठिसंनिवे ६८६० संख्या प्रमाण कीए । श्री योगीन्द्राचार्य कृत मूल दोहा ब्रह्मदेवकृत संस्कृत टीका दौलतिराम कृत भाषा वनिका पूर्ण भई ।। कवि ने अपनी भाषा टीका में विषय का प्रतिपादन अत्यधिक बुद्धिमत्ता पूर्ण किया हैं। जिससे प्रत्येक स्वाध्याय प्रेमी के वह समझ में पा सके । कवि ने इसकी भाषा कब लिखी इसका इसमें कोई उस्लेख नहीं किया किन्तु इस कृति को भी कवि ने उदयपुर रहते हुए ही लिखी थी ऐसा मालूम होता है । क्योंकि जयपुर पाने के वे तो उन्होंने प्रादिपुराण पद्मपुराण एवं हरिवंश पुराण जसे विशालकाय ग्रन्थों की रचना करने में संलग्न हो गये थे ।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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