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________________ महाकवि दौलतराम कासलीवाल -व्यक्तित्व एवं कृतित्व इस कृति का रचनाकाल संवत् १८२६ चैत्र सुदी पूर्णिमा है । इसकी रचना जयपुर नगर में सम्पन्न हुई थी। यह कवि की पत्तिम कृति है। इसकी रचना की घटना भी बड़ी विचित्र हैं । कवि के परम मित्र भाई रायमल्ल जब मालवा गये, तब उन्होंने वहां को समाज को उनके द्वारा रचित श्रादिपुराण एवं पद्मपुरा की भाषा - टीका को पढ़कर सुनायी । एक तो भाई रायमल्ल की प्रवचन शैली, दूसरी इन कृतियों की सरसता — दोनों ने यहां के श्रावकगणों को श्रानन्दित कर दिया। उन्होंने इसे बार-बार सुनने की इच्छा प्रकट की । इसका फल हुआ कि इन दोनों ग्रन्थों का मालवा में बराबर स्वाध्याय होने लगा | पर श्रावकों की प्यास और भी जागृत हुई। उन्होंने भाई रायमल्ल से पद्मपुराण के समान हरिवंश पुराण की भी भाषा टीका लिखवाने की प्रार्थना की क्योंकि वे श्रावक दौलतराम की विद्वत्ता से परिचित हो चुके थे। भाई रायमल्ल को उनकी बात माननी पड़ी। उन्होंने वहीं से दौलतराम को पत्र लिखा कि हरिवंश पुराण की भी ऐसी भाषा टीका लिखो, जो सब को अच्छी लगे । पत्र लेकर पाने वाले साधर्मी भाईयों ने भी महाकवि से भाषा - टीका करने का अनुरोध किया और शोल ही इस महान कार्य को पूरा करने की प्रार्थना की; क्योंकि शरीर का पता नहीं कि वह कब धोखा दे जाये। वैसे भी दौलतराम उस समय काफ़ी वृद्ध हो चुके थे जयपुर के तत्कालीन दीवान रतनचन्द और उनके भाई बिरधीचन्द ने भी पंडितजी से आग्रह किया । फिर क्या उन्होंने दो शीघ्रलिपि लेखक सीताराम ७६ । था - महाकवि इस कार्य में जुट गये। एवं सवाईराम को अपने साथ लिया और शीघ्र ही संवत् १८२६ की चैत्र शुक्ला पूर्णिमा के शुभ दिन इस महान ग्रन्थ की भाषा को पूर्ण कर दिया इस ग्रन्थ के समापन के साथ ही मानों कविकी साहित्य साधना सफल हो गयी । यह उनके जीवन की अन्तिम कृति थी। इसे प्राप्त कर समूचा साहित्यिक जगत निहाल हो गया । १६ हजार श्लोक प्रमाण गद्य कृति लिखना कितनी साधारण साहित्यिक उपलब्धियो ! इसका अनुमान भी करना प्रासान कार्य नहीं है । भयो कौन विधि ग्रन्थ यह भाषा रूप विशाल । सो तुम सुनहु महामती, जिन प्राज्ञा प्रतिपाल || १ || जम्बूद्वीप मंभार यह, भरतक्षेत्र शुभ थान । ताके प्रारिज खंड में, मध्य देश परवान ॥२॥
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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