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________________ ૭૨ यहां तक यह ग्रन्थ बड़ी भाषा टीका किसी विद्वान् द्वारा नहीं लिखी गई श्री । इसलिए कवि के इस प्रथम प्रयास का सब ओर से मर्मस्पर्शी स्वागत हुआ और देश के एक छोर से दूसरे छोर तक इसका स्वाध्याय होने लगा । गुजरात एवं महाराष्ट्र में भी कोकप्रिय बन गया । जयपुर के पाटोदी के मन्दिर के शास्त्र भण्डार में इसकी एक प्रति संवत् १७५० मंगसिर सुदी १३ रविवार के दिन की लिखी हुई है, जिसकी प्रतिलिपि ग्रहमदाबाद में हुई थी । इसलिए इस ग्रन्थ की भाषा ऐसी है जो तत्कालीन माज में यerfas लोकप्रिय रही। प्रस्तावना १० पद्म पुराण : पुण्यातच कथा कोण की रचना के पश्चात् कवि की यह दूसरी विशाल कृति है; जिसने अपने युग में तुलसीदास की रामायण के समान समाज में जैन रामायण के रूप में सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त की थी। इसका घर-घर एवं मन्दिर मन्दिर में स्वाध्याय होने लगा था और जिसकी लोकप्रियता ने उस समय के सभी रिकार्ड तोड़ दिये थे । जयपुर आने के पश्चात् कवि ने इसको रचना कब से प्रारम्भ की इसका तो इसमें कोई उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन इसकी रचना समाप्ति काल सं. १८२३ है । उस समय महा पं० टोडरमल की गद्यात्मक कृतियों की रूपाति उच्च स्तर तक पहुंच चुकी थी तथा जनता की इच्छा भी पारमक कृति की अपेक्षा गद्यात्मक कृति को पधिक मनोयोग मे पढ़ने की थी । इसलिए दोलराम ने भी गधात्मक कृतियों की ओर विशेष ध्यान दिया । 'पद्म पुराण' कवि को मूल कृति नहीं है । किन्तु १०-११वीं शताब्दी के महाकवि रविराचार्य की संस्कृत कृति का हिन्दी भाषानुवाद है । लेकिन कवि का लेखन शैली एवं भाषा पर पूर्ण अधिकार होने से यह मानों उसकी स्वयं की मूल रचना के समान लगती है । इसमें १२३ पर्व हैं जिनमें जैन धर्म के अनुसार " रामकथा" का विस्तार से वर्णन हुआ है । भगवान महावीर के समवसरण में जाने के पश्चात् राजा थेशिक राम कथा को सुनने की इच्छा करते हैं और तब भगवान महावीर रामकथा पर विशद व्याख्यान करते हैं । राम कथा के साथ में राक्षस बशी एवं बानर बशी विद्यावरों का, रावण का जन्म, अंजना सुन्दरी और पवनंजय का विवाह वर्मान हनुमान जन्म कथा, रावण को चक्क प्राप्ति एवं राज्याभिषेक और इसके पश्चात् रामकथा की पुनः वर्णन किया गया है । जिसमें राम-लक्ष्मण को ऋद्धि प्राप्त, राम को लोकापवाद की चिन्ता, सोता का जन में विलाप, सीता को लव-कुश की
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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