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________________ ६० महाकवि दौलतराम कासलीवाल व्यक्तित्व एवं कृतित्व वहीं यह आत्मपरा भी विचार इस भवन में पुष्ट स्वभाव के रूप में दैत्य विचरते हैं। मोह दैत्य शिरोमणि है। राग एवं द्वेष रजनी पर हैं, पाप के रूप में विमान हैं। सात व्यसनों की सेना में महाहिंसक पुरोहित हैं। जिसमें दया का का भी नहीं है। ऐसे भव वन में मोह राजा है। ममता उसकी पटरानी है। आठ कर्मों के रूप में विष वृक्ष हैं जो कांटों से युक्त है तथा छाया रहित है । वह मृत्यु के रूप में उपहार देता रहता है । शुद्धात्म अनुभूति के समान प्रमृत लता नहीं है । शुद्ध भावों के रूप में मृत वृक्ष नहीं है । इसके आगे कवि ने और भी भय वन के डरावने रूप का विस्तार से बर्णन किया है । भय वन के समान ही भाव समुद्र का रूपात्मक वर्णन किया गया है । इसमें सागर में मिलने वाले जड़ स्वभाव के रूप में जलचर, मोह भाव, माया एवं लोभ के रूप में मगर, लोलपी जिह्वा के रूप में मछलियां निष्ठुर कछुवा, वृथा विषाद करने वालों के रूप में मींडके, तुच्छ स्वभाव के रूप में झोंगर आदि का वर्णन किया गया है । आगे सव समुद्र वर्णन, गर्व गिरि वर्णन, निज गंगा वर्णन, प्राशा - वैतरणी विष नदी वर्णन, भाव सरोवर वर्णन, विभाव सर वर्णन, श्रध्यात्म वापिका मन विषय वापी वर्णन आदि वर्णनों के रूपकों में काफी साम्यता है। समुद्र में पाने वाले मगर, मछली, जलचर, मच्छर, कछुवा आदि के रूपकों का समावेश किया गया है। सभी वर्णन भावमय है । इसी तरह विलास के सभी वर्णनों में रूपकों के अम्बार लगे हुए हैं। 'विवेक विलास' की भाषा प्रौढ़ है तथा वर्णन रुचिकर है। बड़ी ही प्रभावक रीति से कवि ने श्रध्यात्म की गंगा बहायी है, जिसमें आत्मतत्व की प्रधानता है । कवि ने प्रात्मा के विविश्व गुणों का विभिन्न रूपकों के माध्यम से सुन्दर चित्र उपस्थित किया है। यह ग्रात्मा स्वभावतः शुद्ध है । निजानन्द रसलीन है । आत्मा ही नगर है और भ्रात्म भाव ही सागर है तथा आत्मा ही स्वयं का राजा है जो स्वयं के पास है। प्रतम भावहि नगर है, ग्रात्म भाव पयोधि । आत्म राम ही एक है, यह निज घर में सोधि ।। ३०८ || ग्राम तत्व' को पहिचान जिसे भी हो गई, वहीं भवसागर से तिर गया तथा जिसने इसकी सिद्धि करली, उसे जन्म मृत्यु के जाल से छुटकारा मिल गया । ऋषि ने अपनी इस कृति में आत्मा को कलुषित करने वाले, शुद्ध . F J
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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