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महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व
४ विवेक विलास
'विवेक विलास' कवि को पद्यात्मक कृतियों में से सबसे महत्वपूर्ण कृति है। पूरी कृति रूपक काव्य है, जिसमें भादि से अन्त तफ रूपकों की मालाए ही मालाए हैं। यह एक ऐसी कृति है, जो किसी भी कवि की काव्य प्रतिभा परखने के लिए पर्याप्त है। कवि ने कृति का नाम विवेक बिलास' दिया है जो पूर्णतः सत्य है। इसमें जगत के प्राणियों को विवेकमय जीवन अपनाने की प्रेरणा दी गयी है। विभिन्न रूपकों से उसे सच्चरित्रता एवं सद्कार्य करने को कहा गया है। पूरा विलास दोहा छन्द में है। जो ६२४ दोहा छन्दों में समाप्त होता है। एक ही काव्य में दोहा छन्द का इतना बड़ा प्रयोग भी बहुत कम देखने को मिलता है। यह एक ही छन्दकृति है। १०वीं शताब्दी में दोहा छन्द कवियो के लिए एवं जनता के लिए कितना लाडला छन्द था। इसकी इस कृति से जानकारी मिलती है।
कवि ने अपनी इस कृति का नाम 'विलास' दिया है। बिलास संशक रचनाएं बनारसीदास में ही लोकप्रिम रही हैं इसलिए प्रत्येक कवि की एक विलास संज्ञक कृति अवश्य मिलती है। इनमें बनारसी विलास, भूधर विलास, धानत विलास, दौलत विलास आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। लेकिन अन्य विलास, संज्ञक रखनायों में एवं विवेक विलास में पर्याप्त अन्तर है। बनारसी विलास में जहां वनारसीदास की सभी लघु कृतियों का संकलन किया गया है । वहां दौलतराम ने अपने विवेक विलास में एक ही कृति को निबद्ध क्रिया है ।
___ विवेक दिलास में निजधाम वर्णन, २. ठगग्राम वर्णन, ३. निज वन निरूपण, ४. निजभवन वर्णन, ५. भावसमुद्र वर्णन, ६. भवसमुद्र वर्णन, ७. शान निरूपण, ८. गवं गिरि वर्णन, ६. निज गंगा वर्णन, १०. प्राशा वैतरणी विपनदी वर्णन, ११. भावसरोवर वर्णन, १२. विभाव सर वर्णन, १३. अध्यात्म वापिका वन. १४ विषय वापी वर्णन. १५. रस कूप वर्णन, १६. भवक्रम वर्णन, १७. अन्तरात्मा ज्ञान राज वर्णन, १८, बहिरात्मा दशा बर्णन, १६. गुरु वचन-इस प्रकार "बिलास' का विषय वर्णन विभक्त किया हुआ है। यद्यपि विवेक मिलास अध्यामों अथवा सर्गों में विभक्त नहीं हैं, लेकिन विभिन्न वर्णन हो इसके प्रध्याम हैं। ये सभी अध्याय ज्ञान रूपी महल से चढ़ने के लिए सोही का कार्य करते हैं। एक के पश्चात् एक वर्णन इस क्रम से हुआ है, जिससे विलास की एक भी कड़ी नहीं टूट सकी है। और विषय सहन ही खुलता चला गया है । समूचा