SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व जो एक सतसई के रूप में हैं। इस परिच्छेद में श्रेपन क्रिया, अष्ट मूलगुण, द्वादश व्रत, निश्चय व्यवहार नय, गुरणस्थान, पांच ज्ञान-मादि पर पच्छा प्रकाश डाला गया है। इस परिच्छेद का प्रमुख छन्द दोहा चौपई एवं सोरठा है। सप्तम परिच्छेद : इस वर्ग में पवर्ग पर आधारित पद्म हैं। इनमें पकारान्त के ३३८ पद्य, फकारान्त के ७० बकारान्त के २७, भकारान्त के १३७ एवं मकारान्त के १९६ पद्य है तथा कुल पद्यों की संख्या ८५८ है। कुण्डलिया, छाघम, सोरठा, शार्दूल Pीडित जगे हदों का भी प्रयोग किया गया है। सभी वर्णन सरस, सरल एवं प्रवाहमय हैं। अलंकारिक शब्दों का भी वर तत्र प्रयोग हुआ है। अष्टम परिच्छेद : अध्यात्म बारहखडी का यह अन्तिम परिच्छेद है । जिसमें यकारान्त पद्यों की संख्या ११८, रकान्त ६३, लकारान्त ८६, वकारान्त ११३, शकारान्त १३३, षकारान्त १२६, सकारान्त ४५२, एवं इकारान्त ६३ तथा क्षकारान्त के ८१ पद्य हैं, इस प्रकार इस परिच्छेद की कुल संख्या १२६८ पद्य है जो सबसे अधिक है । इसमें प्राध्यात्मिक वर्णन अपेक्षाकृत अधिक है। दोहा चौपई जैसे छन्दों के अतिरिक्त उपेन्द्रवना, सर्वय्या, कुलिया सोरठा प्रादि इस परिच्छेद के छन्द हैं । अध्यात्म बारह खडी काव्यत्व की अपेक्षा से एक अच्छी कृति है। यह एक कोशा ग्रन्थ है, जिसकी रचना जिनसहस्र नाम नाममाला आदि अनेक कोश ग्रन्थ एवं आध्यात्मिक ग्रन्थों के आधार पर की गई है। हिन्दी भाषा में इस प्रकार को बहुत कम कुतियां देखने में आती हैं । वर्णन : शारदा-जिसका अपर नाम भारती, ईश्वरी एवं सरस्वती है, वह सर्वज्ञ प्रभु के मुख से निकली हुई है। कवि ने उसका नर्णन करते हुए लिखा है "सरवगि के मुखतें मई, सदा सारदा देवि । वहै ईश्वरी भारती, सुर नर मुनिजम सेव ।।२७।।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy