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________________ ५२ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व ४४२ प्रथम परिच्छे में प्रकार प्रणव महिमा एवं प्रकाशभर से प्रारम्भ होने वाले पर हैं। सर्व प्रथम ५ संस्कृत पद्यों में मंगलाचरण किया गया है। इसके पश्चात् ६६ दूहा एवं नाराच छंदों में प्रवमहिमा, २६ चौपई छन्दों में ओंकार महिमा एवं ११२, दोहा चोपई, छंद वेसरी में प्रकार का बर्णन किया गया है। प्रथम परिच्छेद की पुष्पिका निम्नप्रकार है ___ "इति श्री भक्त्यक्षरमालिका बावनी स्तवन अध्यात्म बारहखड़ी नामध्येय उपासनातं जिनमहसनाम पाभरीनप्रसाविजेट संचागुमाए भगवद भजनानांधिकारे सानंदराम सुत दौलतरामेन अल्पबुद्धिना उपायनीकृते प्रथम स्तुति प्रारंमवारेण प्रणव महिमापूर्वक प्रकारमिश्राशर प्ररूपको नाम प्रथम-परिच्छेद ।।१।। द्वितीय परिच्छेद में प्रकार से लेकर प्रकार के १६ स्वरान्त पद्यों में भगवद्भक्ति एवं अध्यात्म की मंगा बहायी है। इन स्वरान्त पद्यों की संख्या निम्न प्रकार है:-- अकारान्त पश्च पआकारान्स । १३५ इकारान्त , ईकारान्त ॥ सकारान्त , ऊकारान्त ऋकारान्त , ऋकारान्त ॥ लुकारान्त लूकारान्त । एकारान्त । ऐकारान्त , पोकारान्त , प्रौकारान्त , अंकारान्त , प्रकारान्त , १९० १५ १४७१
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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