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महाकदि टोलतराम कासनीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व
६. पदमपुराण ३. आदिपुराण ४. पुरुषार्थ सिद्धयु पाय ५. हरिवंश पुराण ६. परमात्मप्रकाश ७. सार समुच्चय
इसके अतिरिक्त तीन ऐसी रचनाये हैं जिनकी टीकानों को कवि ने या टीका का नाम दिया है। टव्वा टीका का अर्थ उम टीका से है जिसमें कवि ने किसी कृति का हिन्दी में पूरा अर्थ नहीं लिखा हो किन्तु पाठकों को उनका अर्थ समझाने के लिए संकेत के रूप में कठिन शब्दों का उनके ऊपर ही अर्थ लिख दिया हो। ऐसी रचनाओं में निम्न रचनायो को लिया गया है
१ तत्वार्थसूत्र वा टीका २ बसुनन्दि श्रावकाचार टम्बा टीका ३ स्वामी कार्तिकेयानुप्रेक्षा टब्बा टीका
इन सभी १८ रचनाम्रो का संक्षिप्त परिचय विषय के वर्गीकृतानुसार यहाँ दिया जा रहा है१ श्रेपनक्रियाकोश:
"पनक्रियाकोश" का नाम यद्यपि "पुण्यानवकथाकोश" से मन्तिम दो शब्दों में साम्यता रखता है। लेकिन यह कथा प्रधान न होकर प्रावर प्रधान रचना है। जैसा कि इसके नाम से ही रचना के विषय का बोध होना है । इसमें थावकों द्वारा पालन योग्य ५६ क्रियानों का प्रति सूक्ष्म एवं विस्तृत विवेचन किया गया है। इन ५३ क्रियाओं के नाम निम्न प्रकार हैं
५. मूनगुण-पांच उदम्बर एवं तीन मकार (मद्य, मांस एवं मधु) १२ व्रत-पंच अणुव्रत, तीन गुमावत और चार शिक्षानत १२. तप-छह बाह्य तप-अनशन, अवमीदर्य, तपरिसंख्यान,
सपरियाग. वियतपास्यासन एवं
कायलेण । छह ग्राभ्यंतर ता---प्रय दिनन, विनय, बसावृत्य
स्वयव कायमगं गौर ध्यान ।
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