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________________ भूमिका णोध मनन और महानता की दृष्टि से हिन्दी भाषा पौर माहित्य के अनेकविध अध्ययन में बहुत सी जिज्ञासामों, पूर्वापर सम्बन्ध सूत्रों के प्रोझल रह जाने के कारण उत्पन्न उलझनों और समस्याघों का सामना करना पड़ता है । ये समस्याए भिन्न-भिन्न रूपों में हिन्दी के विद्वानों और शोधकों के सम्मुख यदाकदा पाती रहती हैं। जहां तक जनसाधारण का प्रश्न है, वह तो बड़ी बोली' को, जो राष्ट्र भाषा के रूप में स्वीकृत है, हिन्दी मानता है किन्तु हिन्दी से थोड़ा-बहुत भी प्रेम रखने वाले यह जानते हैं कि हिन्दी की इयता बड़ी होली की नई तिहानों ने पनिमी हिन्दी, पूर्वी हिन्दी, राजम्यानो, बिहारी तथा पहाड़ी और इनकी बोलियों को हिन्दी के अन्तर्मन ममझा है । कतिपय विद्वानों ने पश्चिमी हिन्दी और पूर्वी हिन्दी को बोलियों को हिन्दी के अन्तर्गत लेने का सुझाव दिया है । इस प्रकार, मोटे रूप में हिन्दी के अर्थ के सम्बन्ध में ये तीन मत प्रचलित है। भाषा सानिक दृष्टि से मैथिली, बज. राजस्थानी, अवधी और खड़ी बोली पृथक्-पृथक् भाषाए हैं, पर साहित्यिक दृष्टि से विद्वान इनमें लिखे गार साहित्य को हिन्दी साहित्य के अन्तर्गत ममझने हैं, और यह तो स्वीकृत तथ्य है ही कि परिमाण और गुण की दृष्टि में इन पांचों में लिखा गया साहित्य बहुत ही महत्वपूरणं है । ___ इसके अतिरिक्त हिन्दी में बहुत बड़े परिमाण में एक प्रकार के मिश्रित साहित्य का भी निर्माण हुमा है । यह उस मिश्रित भाषा में रया गया है जो प्रमुखतः दो भाषाओं के संकलन और एकीकरण से बनी है, पया-- राजस्थानी और ब्रज जिसे पिंगल कहते हैं, राजस्थानी और बड़ी बोली (जिसके उदाहरण झूलएा, नीसारणी और वरिल्ल छन्दों में चित प्रचुर रचनाए हैं।, आज मौर खड़ी बोली । पं० टोडरमल, पं० दौलतगम कामनीयान प्रादि भनेक लेखकों की गद्य रचनाएं इसी प्रकार की हैं। मिश्रित भाषा का आधारभूत व्याकरणिक ढांचा तो प्राय: एक भाषा का ही रहता है परन्तु दूसरी भाषा स्पष्टत: अन्योन्याश्रित रूप से समीकृत हुई रहती है। कहना न होगा कि "पिंगल" के अतिरिक्त अन्य ऐसी किसी भी मिश्रित भाषा' और उसके साहित्य का अध्ययन हिन्दी में नहीं हुआ है । मैं कहना चाहता हूं कि मिश्रित भाषा का ऐसा समवाय और समवायिक मिश्रित भाषानों का प्रचारप्रसार हिन्दी भाषा के इतिहास की महनीय घटना है, यह उसको समन्वया
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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