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________________ प्रस्तावना नगर में नहीं हो सके । नगर में हस्तलिखित शास्त्र भण्डारों की संख्या भी काफी अच्छी है जिनमें २५ हजार से भी अधिक ग्रन्धों का संग्रह मिलता है।' विशाल मन्दिरों का नगर नहावि सयपुर काम ; आग्दों से दम्खा होगा । तथा उसके निर्माण की योजना को कार्यान्वित करने में सरकार की अोर से अवश्य ही भाग लिया होगा। जयपुर नगर विशाल मन्दिरों का नगर है। यहां जितनी संख्या में शैव, वैष्णव एवं जैन मन्दिर हैं उतनी संरूपा में देश में अन्यत्र कहीं भी नहीं मिलते । यही नहीं सभी मन्दिर विशाल हैं और कलापूर्ण भी हैं जिनमें वर्तमान समय में भी दर्शनाथियों की अपार भीड़ लगी रहती है। प्रमुख बाजारों में, चौपड़ के चारों ओर एवं गलियों में एक के बाद दूसरा मन्दिर देखने को मिलेगा, जिलकी सीढ़ियां बाजार की प्रमुख सड़क की पटरी को छूती हुई होती हैं । नगर के परकोटे में इतने अधिक मन्दिरों का निर्मागा तत्कालीन जनता की धार्मिक प्रवृत्ति की ओर एष्ट मकेत है | नीड़ा रास्ता में स्थित ताड़केश्वरजी का मन्दिर शव मन्दिरों में सबसे प्रसिद्ध एवं प्राचीनतम मन्दिर है, इसी तरह गोविन्ददेवजी का मन्दिर वं रामचन्दजी का मन्दिर यहां के प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय मधिों में से हैं । वपणन एवं शैध मन्दिरों के समान नगर में जैन मन्दिों की संख्या भी कम नहीं है। जयपुर नगर एवं उसके उपनगरों से स्थित जन मन्दिरों एवं चैत्यालयों की संख्या पहिले १७५ मानी जाती थी लेकिन वर्तमान में कुछ नये मन्दिर बन गये हैं और कुछ चैत्यालय कम हो गये हैं। नगर के अधिकांश मन्दिर विशाल एवं कलापूर्गा हैं। जिनमें अत्यधिक मनोज एवं प्राचीन मूर्तियां विराजमान हैं। दि० जैन मन्दिर पाटोदी एवं दि. जैन तेरहपंथी बड़ा मन्दिर यहां के प्राचीनतम मन्दिर है। कहते हैं इतका निर्माण जयपुर के निर्माण के साथ हुआ था। पंचायती मन्दिरों के अतिरिक्त प्रक्किांश मन्दिर विशिष्ट व्यमियों द्वारा निर्मित है। विशाल मन्दिरों में जैन मन्दिर बड़ा दीवामजी दि. जैन मन्दिर छोटा दीवानजी, सिरमोगियों का मन्दिर, संघी जी का मन्दिर, विभुकों का मन्दिर, ठोलियों का मन्दिर, महावीर स्वामी का मन्दिर, दारोगाजी का मन्दिर, वीचन्द जी का मन्दिर, चाकसू का मन्दिर, चौबीस १. देखिये श्री दि० जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीर जी से प्रकाशित राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रन्थ मुची भाग १ से ४ तक 1
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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