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महः कवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व
ग्रंथों का स्मरण
महा धबल अर जयधवल, तथा धवल जिन ग्रन्थ । बंदू तन मन बचन कर, जे शिवपुरके पंथ ।।२४।। पटपाहुड नाटक जु त्रय, तत्वारथ सूत्रादि । तिनको बंदू भाव कर, हरै दोष रागादि ।।२५।। गोमटसार अगाधि श्रुत, लब्धिसार जगसार । क्षपणसार भवतार है, योगसार रसधार ॥२६॥ ज्ञानार्णव है ज्ञानमय, नमू ध्यान का मूल । पद्मनंदि पच्चीसिका, करे कर्म उन्मूल ।।२७।। यत्नाचार विचार नमि, नमू श्रावकाचार । द्रव्यसंग्रह नयचक्र फुनि, नम् शांति रसधार ।।२८।।
आदिपुराणादिकः सबै, जैन पुराण बखान । बंदू मन बन काय कर, दायक पद निर्वाण ।।२८।। तत्वसार अाराधना-, सार महारस धार ।
परमातम परकाशको, पूजू बारम्बार ।।३०।। पूर्वाचार्यों का स्मरण :
बंदू विशाखाचार्यवर, अनुभव के गुण गाय । कुन्दकुन्द पद धोक दे, कहं कथा सुखदाय ।।३१।। तुमुदचंद्र अकलंक नमि, नेमिचंद्र गुरा ध्याय । पात्रकेशरी को प्रणामि, समंतभद्र यशगाय ।।३१।। अमृतचंद्र यतिचंद्र को, उमास्वामि को बंद । पूज्यपाद को कर प्रणमि, पूजादिक अभिनंद ।।३३।। ब्रह्मचर्यन्वत बंदिके, दानादिक उर लाय । श्रीयोगीन्द्र मुनीन्द्रको, बदू मन बच काय ।।३४।। वंदू मुनि शुभचंद्रको, देवसेनको पूज। करि वंदन जिनसेन को, जिनके सम नहि दूज ॥३५॥