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अध्यात्म बारहखड़ी
हे अपथ विहारा भारग सारा, अप्रतिहारा हरि
है अमद सुकरिया शक्ति सुभरिया, प्रतिक्षम घरिया
है वत्सल भावा रहित विभावा,
प्रभु अनुभव दाया अतिशय काया,
वह जिन रावा हर प्यारा ।
है प्रतिहित भारा प्रतिधृति धारा, अनुभव वारा प्रति
हे प्रांत सति पाग असत प्रहारा,
प्रतिशमि भाया अतिवारा ।।
है भवजल तारा प्रतिमल कारा,
है प्रति सुविचारा अशुचि निवारा,
प्रतिमल द्वारा प्रतिसारा ॥ ४२५ ।।
है अमत प्रहारा श्रमति प्रहारा,
अनुभव द्वारा अति प्यारा ।
अनुभव वारा प्रति है अभियम धारा संयम पारा, इंद्रिय द्वारा व्रत
प्यारा
रक्ति प्रहारा भोगत जारा,
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अधरम हारा भव- रा 11
अनुभव वारा प्रति
व्रतधारा ॥४२४ ॥
है अगम अपारा अकरम चारा,
कारा
अक
है अवरण धारा अमरण कारा,
धर्म अधारा
प्यारा ।
प्यारा ।
गारा ।। ४२६ ।।
प्यारा ।
श्रगिवारा ||
धन धारा ।
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