SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 354
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३८ महाकवि दौलतराम कासलीवाल- व्यक्तित्व एवं कृतित्व दस भेद जु धारा साधु उधारा, वह अविकारा उरहारा प्रति यावत्ता कहइ सुव्रत्ता. रहइ निरत्ता हरिहारा है अकपट गारा कपट प्रहाग. विश्व विहारा है प्रतिभव हंता प्रति अरिहंता, प्रभु अरहंताक्षर प्रति अनुभवकारा परिगह डारा, सर्व अधारा गुगुर है आरिज तारा भगत उधारा. प्रति आवारा जग है अनुभव बारा वह प्रति प्यारा, अगमि प्रचारा है अति ति धारा बहुश्र ुत प्यारा, अति आधारा है अवितथ कारा अतत विडारा, अपहारा है वह अति प्यारा मुनि जु उधारा, अवसि प्रचारा है अब्रह्म धुका सीलनि पा HT धारा } F गारा I है प्रवचनसारा प्रवचन वारा, प्रति श्रतिपारा धर तारा ए अवसि जुकररणा निति प्रति चरणा, ।। ४२१ ।। प्यारा ।। अभिचारा ||४२२।० अमत जुहारा प्रतिधारा [I गरणतारा । धरतारा कहद अवरणा मुनि प्यारा ||४२३ || | रत्न प्ररूपा रजहारा ।।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy