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________________ प्रध्यात्म बारहखड़ी २3:3 अठदश जु हजारा शील प्रकारा, अनतीचारा बर प्यारा ।।४१७।। है अति तिक्षारी प्रतिक्षिम धारी, __ अलख जगारी अतिभारी । है क्षण क्षण धारा आप सम्हाग, जान अपारा घर प्याग। है अतिमद मारा अमद सुधारा, अतिसै बारा जगतारा । है अतिसंबनी नाथ अवेगी, आपुन एगी अतिभारा ॥४१८॥ है गति प्रति धारा रहित जु भारा, अति निज लारा परहारा । है अति जस भारा अति गति प्यारा, कृपरण विडारा अगभारा 1 है अकृपरण धाग त्याग सुधारा, __शक्ति पारा तप धारा ।।४१६ ।। है अतितप वारा अतप पसारा, अतितप कारा अरणगारा ॥ है तप ज्वर हारा तप जप प्यारा, अति तप चारा अतिप्यारा । है अतिनप चंडा अतप सुदंडा, शक्ति अखंडा अति धारा ।। है नहि असमाधा साधु समाधा, नित्य अबाधा हर प्यारा ।।४२०।। है त्याग अखंडा ता जु प्रचंडा, आप प्रचंडा व्रतकारा ।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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