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महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व
अकलित अविरूपा अचलित भूपा,
अतुल अनूपा अतिबारा । है अनुभव कारा अतिभव हारा,
अकथ अपारा जिन प्यारा ।।४१४।। अति अतिशय मंडा अनुशय छंडा,
सौख्य करंडा अविकारा । है अनुभव पिंडा अतिशय खडा,
अतिगति खंडा अतिप्यारा ।। है प्रागति खंडा अविगत पिंडा,
अतिहित मंडा अविधारा । है अति अधदंडा अति जु प्रचंडा,
कर्मविहंडा अतिप्यारा १४१५।। है अविरति हारा विरति विहारा,
अतनु प्रहारा अरणगारा । है भूति विथारा अस्खलित धारा,
अप्रमतबारा अतिप्यारा ॥ है अमित बिथारा सार सुसारा,
अति जगपारा अतिचारा । है अतिक्रम दारा मल जु विडारा,
अदरस हारा अतिप्यारा ॥४१६५ है अकर अकारा प्रजर जरारा,
अमर करारा अविचारा । है, अतिगुगण गारा अठमद डारा,
अविनयटारा अति प्यारा ।। है अतिसुख वारा अकुलित द्वारा,
अतिशम धारा प्रतिगारा ।