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________________ २३५ अध्यात्म बारहखड़ी प्रभु अतिगति कहिया अतिरति रहिया, अति गणधरिया अतिसारा । है अतिगुरण धुग्यिा अतिभव तरिया, अतियम हरिया प्रतिप्यारा ॥११॥ अरति जु हरिया रंग सुकरिया, संघ उधरिया प्रतिकारा । गुण संग न तजिया संग जु तजिया, मुनिगण भजिया क्षम वारा । जिन अति गति पिडा आप अपिंडा, प्रवत छंडा अनिफारा । है अतनु सु दंडा ब्रत नहि खंडा, उपर मयंडा जनप्याग ।।४१२।। है अनघ अधारा प्रमग प्रहारा, अगम अपारा अघटारा। है तथ्य सु धारा अस्तिथ धारा, अविधि विडारा अतिप्यारा ॥ अति परगुरण रहिता अति निज सहिता, सुरनर महिता प्रतिपारा । है अतिरस रसिया, अति गुण लसिया, अवगम वसिया अतिध्यारा ।।४१३।। अति अतिथि अधारा बितथ विदारा, पस्य सुधारा अतिमारा । है अतत विडारा अव्रत डारा, अतिन्नत वारा प्रतिप्यारा ।। - - -
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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