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________________ २३४ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-क्तिव एवं कृतित्व तो सौ अतिशय धरण जुतूही, और न दोसै जग में ज्ञेय । मेरी इह विनती सुनि देवा, । देह अभै पद निज मैं लेय ।।४०८।” दोहा अति थारौं अाधार तू, अनत वसः जगदेव । अदभुत अध्यालम विमल, तु ही. प्रकास अछेव ।।४०६।। त्रिभंगी छंद अथ अतिप्यास की बालअतिमतिकारा अतिश्र तिसाग, __ अवधि अधारा अतिधारा । है अति सुख सारा अमन प्रचारा, अवगम* -वारा धर प्यारा ।। है अति विचरइया अति बिहर इया. अति विथरइया अतिसारा । हैं लक्षण गारा अतिशय कारा, अतिसमवारा अतिप्यारा ।।४५३ अति ही वित भरिया अतित्रित धरिया, अति गाँत हलिया अतिहारा । है अत्युच्चंडा अति सुस्ख पिडा, अति विहंडा अति प्यारा ॥ अनगम कहता ज्ञान
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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