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________________ २३२ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व तू अनघेशनाथ अतिछात्रो, अतिरिक्तो छाननितें सोय । तू अलपेशमा अति गात्रो, __ अत्यंतो अत्यर्थ न दोय ॥४०॥ तू अतिनाथ अतित जु पात्रो, अति र हितू अत्यंत जु भात । अतिभृता तेरै निस्वामी, अतिचेतन तू अमित सुतात ।। अति जुनंत भेदधर तू ही, आप अभेदो है अनिपात । सू सामान्य विशेषातम है, एकानेक जु द अजात ।।४०३।। जो अतिक्रांति विश्रांति दयाला, अरिहंता अतिशांत मुनीश । सुरनर मुनिबर खग तिरको मन, हरे न चौरो अति जगदीश ।। सांच झूठ जे जगत प्रपंचा, जाने सव अररहित जुरीस । जीव रसिक जो नासक कर्मा, निरग्रंथो अति कमलाधोश 11४०४।। इह अदभूत गति देखहु ता, सो अध्यात्म धारसु सार । अध्यातमि को तारक देव, असुधारिनि को है प्रतिपार ।।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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