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महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्या
तू अति भूतेस्वर है जु महेश्वर,
देव जिनेश्वर अतुल मणो । नु अगद वितो मात्र मानो...
अतिगति दानो तत्व मुणो ।' तू ही जु अरूपी अनत जु रूपी,
परम अनूपी बोधकरो । तू पात्र जु रहितो पात्र विमहितो,
निजरस सहितो कर्महरी ॥३६४।। तु है अतिचारी जिन अविचारी,
अतिगति भारी धर्मपरो । है जू अविलीनो नाथ अदीनो,
नाहि अधीनो सिद्ध करो। देवो अति चेता मुक्ति सुनेता,
है जु प्रणेता चित्तहरो । अति ही मदहारी साधु सुधारी,
अमृतधारी मृत्य हरो॥३६५।। सू अति शम घारी अगरवतारी,
अति भवहारी शिव जु बसे। तू है अतिपारी अति अविकारी,
भव्य उधारी जिन विथरो ।। तू अतिरित माया अतिरित काया,
___ अतिरित जाया क्षेत्र घरो । तू है प्रतिक्षेत्री सर्व सुवेत्री,
__ मोह विजेत्री जगत गुरो ।।३६६।। तू प्रभु अवधूतौ अतिहि जु पूतो,
है अभूतो भूत महः ।