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________________ २२२ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्व छंद वेसरी अति तू भूषा अति निरदूषन, __ अतिहि तृप्त प्रभु प्यास म भूषन । अति नीरै प्रभु मानहु दूरन, अति जड चूरन अति सुख पूरन ।।३३६।। + अति जग पारग प्रति शिव मारग, अति सु उधारक घर जिन मारग* ॥१३३७।। अति भू मोचक अतिगुण रोचक, अति दुखरोधक अतनु असोचक । अति भू दायक, अतिगुणः लायक, अतिमुनि नाधक अतिरस भायक ।। ३३८।। प्रतिक्षम क्षमकर अतियम यमघर, अतिशम दमकर अतिजप तपवर । अति भू क्षमपर अति यतनाकर, अति र उपरमकर प्रति समताधर ।।३३६।। अति भू पोषक अतनु बिसोषक, प्रतिजन मोषक अतिहित घोषक । अवगुण दारक समकित कारक, अतनु प्रभारक अमन प्रचारक ॥३४०।। अतिनर अतिभर प्रतिकर, . अतिवर अतिपर प्रतिचर अतितर । अतिचिर अतिथिर अतिगिर, अतिगुर, अतिधर अतिहर अतिरि जिनवर ।।३४१।। + शिव मारग कहता-मोक्ष मारग, कल्याण मारग, [मुल प्रति की टीका * यह पद्य दो पक्तियों का है। X उपरम कहता वैराग्य । ।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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